सोमवार, 27 मार्च 2017

दुखी अध्यापक ( कविता)



 ल स्कूल में सब खुश थे
क्योंकि सारे बच्चे पास है
जो आये, वो पास
जो नहीं आये वो भी पास
जिसने परीक्षा दी ,वो भी पास
जिसने नहीं दी ,वो भी पास
सब खुश
मां बाप दोस्त रिश्तेदार
बस दुखी था तो वह अध्यापक जो
इसकी इस खोकली नीव के भविष्य
मे होने वाले पतन को देख रहा था
                                        
ओर जाने क्या सोच रहा था
मैं देना तो बहुत चाहता हूं दे नहीं पा रहा हूं