पिता बेटी के सर पर
हाथ रख कर बोला-
मैं तेरे
लिए ऐसा पति
खोज
कर लाऊंगा जो तुझे बहुत
प्यार करे,
तेरी भवनाओं का सम्मान
करे,
तेरे दुख सुख को समझ सके,
तेरी आँखो में आँसू न आने दे,
तेरी हर छोटी छोटी
ख्वाइशों को पूरा कर सके।
बेटी ने पूछा : क्यो पापा?
पिता बोला : बेटा हर
बाप का सपना होता है
की
उसकी बेटी को राजकुमार
जैसा पति
मिले जो उसे बहुत प्यार दे
और
उसे हमेशा सुखी रखे।
बेटी :-तो पापा नाना
जी ने भी आपको
मम्मी का हाथ यही
सोचकर दिया
होगा न की आप भी
राजकुमार हो।
फिर आप मम्मी को हमेशा
क्यो रुलाते हो?,
कही बाहर भी नही ले
जाते
और प्यार भी नही करतेऔर
हमेशा चिल्लाते रहते होतो
क्या आप अच्छे वाले
राजकुमार नही निकले?
ये सुन पिता को एहसास
हुआ की
मुझे भी किसी ने
राजकुमार
समझ कर अपने कलेजे
का टुकड़ा दिया और मैं खुद
तो
राजकुमार बना रहा पर
अपनी
पत्नी को कभी
राजकुमारी नही समझा।
आज खुद बाप बंनने के बाद
एह्सास हुआ की अपने दिल
के टुकड़े को सही हाथ मे
नही सौपा
तो उसके दिल के टुकड़े हो
जायेगे जो कोई भी बाप
नही सहेगा।
इसलिए जैसा आप अपनी
बेटी
के लिए सोचते है वैसा ही
अपनी
पत्नी के लिए सोचिये।
आखिर वो भी किसी की
बेटी है,
किसी का आँख का तारा
है।
उसे दुख होगा तो उसके
पिता को
भी दुख होगा।
कृप्या कर अपनी घर की
औरतों को भी इज़्ज़त और
प्यार दिजिए वो
भी किसी की बेटी है।
शुक्रवार, 5 मई 2017
BJP की कहानी
1977 मेँ जनता पार्टी की सरकार
बनी जिसके प्रधान मोरारजी देसाई
गुजराती ब्राह्मण थे जिनको जयप्रकाश नारायण
द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिऐ नामांकित किया था। चुनाव
मेँ जाते समय जनता पार्टी ने अभिवचन
दिया था कि यदि ऊनकी सरकार बनती है
तो वे काका कालेलकर कमीशन लागु करेगेँ। जब
ऊनकी सरकार बनी तो OBC का ऐक
प्रतिनिधिमंडल मोरारजी को मिला और कालेलकर
कमीशन लागू करने के लिऐ मांग की मगर
मोरारजी ने कहा कि कालेलकर कमीशन
की रिपोर्ट
पुरानी हो चुकी है ईसलिऐ अब
बदली हुई परिस्थिति मेँ नयी रिपोर्ट
की आवश्यकता है यह ऐक शातिर बाह्मण
की OBC को ठगने की ऐक चाल
थी। प्रतिनिधिमडंल ईस पर सहमत हो गया और
B.P. Mandal जो बिहार के यादव थे
ऊनकी अध्यक्षता मेँ मंडल कमीशन
बनाया गया। बी पी मंडल और उनके
कमीशन ने पूरे देश मेँ घूमकर 3743 जातियोँ को OBC
के तौर पर पहचान किया जो 1931 की जाति आधारित
गिनती के अनुसार भारत की कुल
जनसंख्या 52% थे। मंडल कमीशन ने
अपनी रिपोर्ट मोरारजी सरकार सौपते
ही पूरे देश मेँ बवाल खङा हो गया। जनसंघ के 98
MPs के समर्थन
बनी जनता पार्टी की सरकार
के लिऐ मुश्किल खङी हो गयी। ऊधर
अटल बिहारी के नेतृत्व मेँ जनसंघ के MPs ने दबाव
बनाया कि अगर मंडल कमीशन लागु करने
की कोशिश की गयी तो वे
सरकार गिरा देंगे। दूसरी तरफ OBC के नेताओँ ने
दबाव बनाया। फलस्वरूप अटल बिहारी ने
मोरारजी की सहमति से
जनता पार्टी की सरकार
गिरा दी।
ईसी दौरान भारत
की राजनीति मेँ ऐक Silent
revolution की भूमिका तैयार
हो रही थी जिसका नेतृत्व आधुनिक
भारत के महानतम् राजनीतिज्ञ कांशीराम
जी कर रहै। कांशीराम
जी ने 1978 मेँ अपनी बौद्धिक बैँक
बामसेफ की स्थापना की जिसके माध्यम
से पूरे देश मेँ OBC को मंडल कमीशन पर जागरण
का कार्यक्रम चलाया। कांशीराम जी के
जागरण अभियान की फलस्वरूप देश के OBC
को मालुम पङा कि उनकी संख्या देश मेँ 52% मगर
शासन प्रशासन मेँ ऊनकी 2% है। जबकि 15%
तथाकथित सवर्ण प्रशासन मेँ 80% है। ईस प्रकार सारे आंकङे
मण्डल की रिपोर्ट मेँ थे जिसको जनता के
बीच ले जाने का काम कांशीराम
जी ने किया। अब OBC जागृत हो रहा था। ऊधर
अटल बिहारी ने जनसंघ समाप्त करके BJP
बना दी। 1980 के मेँ चुनाव मेँ संघ ने
ईँदिरागांधी का समर्थन किया और ईन्दिरा जो 3
महीने पहले स्वयं हार
गयी थी 370 सीट
जीतकर आयी।
ईसी दौरान गुजरात मेँ आरक्षण के विरोध मेँ प्रचंड
आन्दोलन चला। मजे बात यह है थी कि इस
आन्दोलन मेँ बङी संख्या OBC स्वयँ
सहभागी था क्योँकि ब्राह्मण
बनिया मीडीया प्रचार किया जो आरक्षण
SC,ST को पहले से मिल रहा है वह बढने वाला है। गुजरात
मेँ अनु. जाति के लोगोँ के घर जलाये गये। नरेन्द्र
मोदी इसी आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता थे।
कांशीराम जी अपने मिशन को दिन
दूनी रात चौगुनी गति से बढा रहे थे।
ब्राह्मण अपनी रणनीति बनाते पर
ऊनकी हर
रणनीति की काट कांशीराम
जी के पास थी। ऊन्होने 1981 DS4
नाम की आन्दोलन करने वाली विंग
को बनाया। जिसका नारा था ' ब्राह्मण बनिया ठाकुर छोङ
बाकी सब DS4!' DS4 के माध्यम से
ही कांशीराम जी ने ऐक
और प्रसिद्ध नारा दिया ' मंडल कमीशन लागु
करो वरना सिँहासन खाली करो।' ईस प्रकार के नारो से
पुरा भारत गुँजने लगा। 1981 मेँ ही मान्यवर ने
हरियाणा का विधानसभा चुनाव लङा, 1982 मेँ
ही ऊन्होने जम्मु ऐण्ड विधान
सभा काश्मीर का चुनाव लङा। अब
कांशीराम
जी की लोकप्रियता अत्यधिक बढ
गयी। ब्राह्मण
बनिया मीडीया ने ऊनको बदनाम करना शुरू
कर दिया। ऊनकी बढती लोकप्रियता से
ईन्दिरा ताई घबरा गयी।
ईन्दिरा जी को लगा कि अभी अभी जेपी के
जिन्न पीच्छा छोङा कि अब ये कांशीराम
तैयार हो गये।
ईन्दिरा जानती थी कांशीराम
जी का ऊभार जेपी से
कहीँ ज्यादा बङा खतरा ब्राह्मणोँ के लिऐ था। ऊसने
संघ के साथ मिलने की योजना बनाई। अशोक सिंघल
की ऐकता यात्रा जब दिल्ली के
सीमा पहुँची तब ईन्दिरा स्वयं माला लेकर
ऊनका स्वागत करने पहुंची।
ईस दौरान भारत मेँ ऐक और
बङी घटना घटी। भिंडरावाला जो खालिस्तान
आन्दौलन का नेता था जिसको कांग्रेस ने अकाल तख्त का विरोध
करने के लिऐ खङा किया था उसने स्वर्णमंदिर पर कब्जा कर लिया।
RSS और कांग्रेस ने योजना बनाई अब मण्डल
कमीशन आन्दोलन को भटकाने के लिऐ हिन्दुस्थान
vs खालिस्थान का मामला खङा किया।
ईन्दिरा गांधी आर्मी प्रमुख जनरल
सिन्हा को हटा दिया और ऐक साऊथ के ब्राह्मण
को आर्मी प्रमुख बनाया। जनरल सिन्हा ने
ईस्तीफा दे दिया। आर्मी मेँ भूचाल आ
गया। नये आर्मी प्रमुख ईन्दिरा गांधी के
कहने पर OPERATION BLUE STAR
की योजना बनाई और स्वर्ण मंदिर के अन्दर टैँक
घुसा दिया। पुरी आर्मी हिल
गयी। पुरा सिक्ख समुदाय ने ईसे अपना अपमान
समझा और 31 Oct. 1984 को ईन्दिरा गांधी के
ऊनको दो Personal guards बेअन्तसिह और सतवन्त सिँह
जो दोनो अनुसुचित जाति के थे ने
ईन्दिरा गांधी को असंख्य गोलीयाँ मार
दी।
माओ अपनी किताब 'ON CONTRADICTION'
लिखते है कि शासक वर्ग किसी ऐक षडयंत्र
को छुपाने के लिऐ दुसरा षडयंत्र करता है पर वह
नहीँ जानता कि ईससे वह अपने स्वयँ के लिऐ कोई
और संकट खङा कर देता है।' माओ की यह बात
भारतीय राजनीति के परिप्रेक्ष्य मेँ
सटीक साबित होती है। मंडल
कमीशन को दबाने वाले षडयंत्र का बदला शासक वर्ग
ने ईन्दिरा गांधी जान देकर चुकाया।
ईन्दिरा गांधी की हत्या के तुरन्त बाद
राजीव
गांधी को नया प्रधानमंत्री मनोनीत
कर दिया गया। जो आदमी 3 साल पहले
पायलटी छोङकर आया था वो देश का 'मुगले आजम'
बन गया। ईन्दिरा गांधी की अचानक
हत्या से सारे देश मेँ सिक्खोँ के विरूद्ध माहैल तैयार किया गया।
दंगे हुऐ। अकेले दिल्ली 3000
सिक्खो का कत्लेआम हुआ जिसमेँ तात्कालीन
मंत्री भी थे। ज्ञानी जैल
सिँह के फोन तक राजीव गांधी ने
रिसीव नहीँ किये।
ऊधर कांशीराम जी अपना अभियान
जारी रखे हुऐ थे। उन्होनेँ
अपनी राजनीतिक
पार्टी BSP
की स्थापना की और सारे देश मेँ साईकिल
यात्रा निकाली। कांशीरामजी ने
ऐक
नया नारा दिया 'जिसकी जितनी संख्या भारी ऊसकी ऊतनी हिस्सेदारी।'
कांशीराम जी मंडल कमीशन
का मुद्दा बङी जोर शोर से प्रचारित किया जिससे ऊत्तर
भारत के पिछङे वर्ग मेँ ऐक नयी तरह
की सामाजिक, राजनीतिक चेतना जागृत
हुई। ईसी जागृति का परिणाम था कि पिछङे वर्ग
नया नेतृत्व जैसे कर्पुरी ठाकुर,लालु,मुलायम का ऊभार
हुआ। अब कांशीराम शोषित वचिँत समाज के सबसे
बङे नेता बनकर उभरे।
वही 1984 का चुनाव हुआ पर ईस चुनाव
कांशीराम ने सक्रियता नहीँ दिखाई। पर
राजीव गांधी को सहानुभुति लहर
का ईतना फायदा हुआ कि राजीव
गांधी 413 MPs चुनवा कर लाये।
जो राजीव जी के नाना ना कर सके वह
उन्होने कर दिखाया। सरकार बनने के बाद फिर मण्डल का जिन्न
जाग गया। OBC के MPs संसद मेँ हंगामे शुरू कर दिया। शासक
वर्ग फिर नयी व्युह रचना बनाने
की सोची। अब कांशीराम
जी के अभियानो के कारण OBC जागृत हो चुका था।
अब शासक वर्ग के लिऐ मंडल कमीशन का विरोध
करना संभव नहीँ था। 2000 साल के ईतिहास मेँ
शायद ब्राह्मणोँ ने पहली बार कांशीराम
जी के सामने असहाय महसुस किया। कोई
भी राजनीतिक ऊदेश्य ईन
तीन साधनोँ से प्राप्त किया जा सकता है वह है-
शक्ति संगठन की, समर्थन जनता का और दांवपेच
नेता का। कांशीराम जी के पास
तीनो कौशल थे और दांवपेच के मामले मेँ वे
ब्राह्मणोँ से 21 थे। अब यह समय था जब कांग्रेस और संघ
की सम्पूर्ण राजनीतिक केवल
कांशीराम जी पर
ही केन्द्रित हो गया।
1984 के चुनावोँ मेँ बनवारी लाल पुरोहित ने
मध्यस्थता कर राजीव गांधी और संघ
का समझौता करवाया ऍव ईस चुनाव मेँ संघ ने राजीव
गांधी का समर्थन किया। गुप्त समझौता यह
था राजीव गांधी राम मंदिर आन्दोलन
का समर्थन करेगेँ और हम मिलकर रामभक्त OBC को मुर्ख
बनाते है। राजीव गांधी ने
ही बाबरी मस्जिद के ताले खुलवाये,
उसके अन्दर राम के बाल्यकाल
की मूर्ति भी रखी।
अब ब्राह्मण जानते थे अगर मण्डल कमीशन
का विरोध करते है
तो राजनीति शक्ति जायेगी क्योकि 52%
OBC के बल पर ही तो वे बार बार देश के राजा बन
जाते थे और समर्थन करते है तो कार्यपालिका मेँ जो ऊन्होनेँ
स्थायी सरकार
बना रखी थी वो छीन जाने
खा खतरा था। विरोध करे तो खतरा समर्थन करे तो खतरा। करे
तो क्या करे? तब कांग्रेस और संघ मिलकर OBC पर विहंगम
दृष्टि डाली तो ऊनको पता चला कि पूरा OBC रामभक्त
है। ऊन्होँने मंडल के आन्दोलन को कमंडल
की तरफ मोङने का फैसला किया। सारे देश मेँ राम मंदिर
अभियान छेङ दिया। बजरंग दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष
बनाया गया जो पिछङा था। नरेन्द्र मोदी, रितंभरा,
ऊमा भारती, गोविन्दाचार्य आदि वो मुर्ख OBC थे
जिनको संघ ने सेनापति बनाया। जिस प्रकार ये लोग हजारोँ सालो से ये
पिछङो मेँ विभीषण पैदा करते रहे ईस बार
भी ऐसा ही किया।
वहीँ दूसरी तरफ अनियंत्रित
राजीव गांधी ने खुद
अन्तर्राष्ट्रीय नेता बनाने ऍव मंडल
कमीशन का मुद्दा दबाने के लिऐ प्रभाकरण से
समझौता किया तथा प्रभाकरण को वादा किया कि जिस प्रकार
उसकी मां ने पाकिस्तान का विभाजन कर देश
दुनिया राजनीति मेँ अपनी धाक
पैदा की वैसे वह
भी श्रीलंका का विभाजन करवाकर
प्रभाकरण को तमिल राष्ट्र बनवाकर देगा।
वहीँ राजीवगांधी की सरकार
मेँ वी.पी. सिँह
रक्षा मंत्री थे। बोफोर्स रक्षा सौदे मेँ भ्रष्टाचार
राजीव गांधी की सहायता से
किया ऊसको ऊजागर किया गया। यह राजीव
गांधी की साख पर बट्टा था।
वीपी सिँह ईसको मुद्दा बनाकर अलग
जन मोर्चा बनाया।
अब असली घमासान था। 1989 के चुनावोँ लङाई
दिलकश हो चली थी। पूरे उत्तर भारत मेँ
कांशीराम जी बहुजन समाज के नायक
बनकर ऊभरे। ऊन्होने 13 जगहो पर चुनाव
जीता जबकि 176 जगहोँ पर वे कांग्रेस
का पत्ता साफ करने सफल हो गये। राजीव
गांधी जो कल तक दिल्ली का मुगल
था कांशीराम जी के कारण वह रोङमास्टर
बन गया। कांग्रेस 413 से धङाम 196 पर आ गयी।
वी पी सिँह के गठबनधन 144
सीटस मिली ऊसका कारण चुनाव मेँ जाने
वी पी सिँह ने
घोषणा की कि यदि ऊनकी सरकार
बनी तो मंडल लागु करेगेँ। चन्द्रशेखर व
चौधरी देवीलाल के साथ मिलकर सरकार
बनाने की योजना वी पी सिँह
द्वारा बनायी गयी।
चौधरी देवीलाल
प्रधानमंत्री पद के सबसे बङे दावेदार थे पर
योजना ईस प्रकार से
बनायी गयी थी।
सांसदीय दल की बैठक मेँ माला चौ.
देवीलाल के हाथ मेँ दे दी।
देवीलाल माला c वी पी के
गले मेँ डाल दिया। ईस प्रकार वी पी सिँह
नये प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री बनते
ही OBC नेताओँ मंडल कमीशन लागु
करवाने का दबाव डाला। वी पी सिँह ने
बहानेबाजी की पर अन्त मेँ निर्णय
करने के लिऐ चौ. देवीलाल
की अध्यक्षता मेँ ऐक
कमेटी बनायी। याद रहे कि मंडल
कमीशन के चैयरमैन बी.
पी. मंडल यादव थे शायद ईसलिऐ मंडल
की लिस्ट मेँ ऊन्होनोँ यादवोँ को तो शामिल मगर
जाटोँ को शामिल नहीँ किया।
चौधरी देवीलाल कहा कि ईसमेँ
जाटोँ को शामिल करो फिर लागु करो मगर ठाकुर
वी पी सिँह ईनकार कर दिया।
चौधरी देवीलाल नाराज होकर
कांशीराम जी के पास गये और
पूरी कहानी सुनाकर बोले मुझे
आपका साथ चाहिये। कांशीराम जी बोले
कि 'ताऊ तुझे जनता ने Leader बनाया मगर ठाकुर न Ladder
(सीढी) बनाया। तेरे साथ अत्याचार हुआ
और दुनिया मेँ जिसके साथ अत्याचार होता है कांशीराम
ऊसका साथ देता है।' कांशीराम जी और
देवीलाल ने वी पी सिँह के
विरोध मेँ ऐक विशाल रैली करने वाले थे।
उसी दौरान शरद यादव और रामविलास पासवान ने
वी पी सिँह से मुलाकात की।
ऊन्होँने वी पी से कहा कि हमारे
नेता आप
नही बल्कि चौधरी देवीलाल
है। अगर आप मंडल लागु कर दे तो हम आपके साथ रहेगेँ
अन्यथा हम भी देवीलाल और
कांशीराम का साथ देँगे। ठाकुर
वी पी सिँह
की कुर्सी संकट से घिर
गयी। कुर्सी बचाने के डर से
वी पी सिँह ने मंडल लागु करने
की घोषणा कर दी। सारे देश मेँ बवाल
खङा हो गया। Mr. Clean से Mr. Corrupt बन चुके
राजीव गांधी ने
बिना पानी पीये संसद मेँ 4 घंटे तक मंडल
के विरोध मेँ भाषण दिया। जो व्यक्ति 10 मिनिट तक बोल
सकता था ऊसमेँ OBC का विरोध
अपनी पूरी ऊर्जा दी।
वी पी सरकार गिर गयी।
चुनावोँ घोषणा की हुयी।
राजीव गांधी ने जो प्रभाकरण से
वादा किया था वो पूरा नहीँ कर सके थे बल्कि UNO के
दबाव मेँ ऊन्होँने शांति सेना श्रीलंका भेज
दी थी। राजीव
गांधी के कहने पर प्रभाकरण के
साथी कानाशिवरामन BOMB बनाने
की ट्रेनिँग
दी गयी थी। जब प्रभाकरण
को लगा कि राजीव गाँधी ने धोखा किया।
उसने काना शिवरामन को राजीव
गांधी की हत्या कर देने का आदेश
दिया और मई 1991 मेँ राजीव
गांधी को मानव बम द्वारा ऊङा दिया गया। ऐक बार फिर
माओ का कथन सत्य सिद्ध हुआ। मंडल के भूत ने
राजीव गांधी जान ले ली।
राजीव गांधी हत्या का फायदा कांग्रेस
को हुआ। कांग्रेस के 271 सांसद चुनकर आये। शिबु सोरेन व
ऐक अन्य को खरीदकर कांग्रेस ने सरकार
बनायी। वी पी नरसिँम्हराव
दक्षिण के ब्राह्मण प्रधानमँत्री बने।
दूसरी तरफ मंडल कमीशन के विरोध मेँ
Supreme court के 31 आला ब्राह्मण वकील
सुप्रीम कोर्ट पहुँच गये। लालु यादव बिहार के
सीऐम थे। पटना से दिल्ली आये। सारे
ब्राह्मण- बनिया वकीलोँ से मिले। कोई
भी वकील पैसा लेकर
भी मंडल के समर्थन मेँ लङने के लिऐ तैयार
नहीँ था। लालु यादव ने रामजेठमलानी से
निवेदन किया मगर जेठमलानी Criminal Lawyer थे
जबकि यह संविधान का मामला था फिर रामजेठमलानी ने
यह केस लङा। मगर SUPREME COURT ने 4 बङे फैसले
OBC के खिलाफ दिये।
1. केवल 1800 जातियो को OBC माना।
2. 52% OBC को 52% देने की बजाय संविधान के
विरोध मेँ जाकर 27% ही आरक्षण होगा।
3. OBC को आरक्षण होगा पर प्रमोशन मेँ आरक्षण
नहीँ होगा।
4. क्रीमीलेयर होगा अर्थात् जिस OBC
का INCOME 1 लाख होगा ऊसे आरक्षण
नहीँ मिलेगा। ईसका ऐक और यह था कि जिस OBC
का लङका महाविद्यालय मेँ पढ रहा है ऊसे आरक्षण
नहीँ मिलेगा बल्कि जो OBC गांव मेँ ढोर ढंगर
चरा रहा है उसे आरक्षण मिलेगा।
ये चार बङे फैसले सुप्रीम कोर्ट के सेठ
जी ऍव भट्टजी ने OBC के विरोध मेँ
दिये। दुनिया की हर COURT मेँ न्याय मिलता है
जबकि भारत की SUPREME COURT ने 52%
OBC के हक और अधिकारोँ के विरोध का फैसला दिया। भारत के
शासक वर्ग अपने हित के लिऐ सुप्रीम कोर्ट
जैसी महान् न्यायिक संस्था का दुरूपयोग किया।
मंडल को रोकने के लिऐ कई हथकंडे अपनाऐँ हुऐ थे जिसमेँ राम
मंदिर आन्दोलन बहुत बङा हथकंडा था। ऊत्तर प्रदेश मेँ
बीजेपी ने मजबुरी मेँ
कल्याण सिँह जो कुर्मी थे ऊनको सीऐम
बनाया। आपको बताता चलुं कांशीराम
जी ऊदय के पश्चात् ब्राह्मणोँ ने लगभग हर राज्य
मेँ OBC सीऐम बनाना शुरू किये ताकि OBC का जुङाव
कांशीराम जी के साथ
नहीँ हो। ईसी वजह से ऐक
कुर्मी को मुख्यमंत्री बनाया।
आडवाणी ने रथ यात्रा निकाली। नरेन्द्र
मोदी आडवाणी के हनुमान बने। याद
रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने मंडल
विरोधी निर्णय 16 नवम्बर 1992 को दिया और शासक
वर्ग ने 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद
गिरा दी गयी। बाबरी मस्जिद
गिराने मेँ कांग्रेस ने बीजेपी का पुरा साथ
दिया। ईस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बारे
OBC जागृत नहीँ हो ईसलिऐ
बाबरी मस्जिद गिराई गयी।शासक वर्ग ने
तीर मुसलमानो पर चलाया पर निशाना OBC थे। जब
भी ऊन पर संकट आता है वे हिन्दु और मुसलमान
का मामला खङा करते है। बाबरी मस्जीद
गिराने के बाद कल्याणसिंह सरकार बर्खास्त कर
दी गयी।
दूसरी तरफ कांशीराम
जी UP के गांव गांव जाकर षडयंत्र का पर्दाफाश कर
रहे थे। ऊनका मुलायम सिँह से समझौता हुआ। विधानसभा चुनाव
हुऐ कांशीराम जी की 67
सीट ऍव मुलायम सिँह को 120 सीटेँ
मिली। बीऐसपी के सहयोग
से मुलायम सिँह मुख्यमंत्री बने। UP के OBC और
SC के लोगोँ मिलकर नारा लगाया "मिले मुलायम कांशीराम
हवा मेँ ऊङ गये जय श्री राम।"
शासक जाति को इस गठबन्धन से और ज्यादा डर लगा। ईंडिया टुडे
ने कांशीराम भारत के अगले
प्रधानमंत्री हो सकते है ऐसा ब्राह्मणोँ को सतर्क
करने वाला लेख लिखा।ईसके बाद शासक वर्ग
अपनी राजनीतिक रणनीति मेँ
बदलाव किया। लगभग हर राज्य
का मुख्यमंत्री ऊन्होनेँ शूद्र(OBC) बनाना शुरू कर
दिये। साथ ही ऊन्होने दलीय अनुशासन
को कठोरता से लागु कि ताकि निर्णय करते वक्त वे स्वतंत्र रहे।
1996 के चुनावोँ कांग्रेस फिर हार गयी और
दो तीन अल्पमत वाली सरकारे
बनी। यह गठबन्धन की सरकारे
थी। ईन सरकारो मेँ सबसे महत्वपुर्ण सरकार H.D.
देवेगौङा (OBC) की सरकार थी जिनके
कैबिनेट मेँ ऐक भी ब्राह्मण
मंत्री नहीँ था। आजाद भारत के ईतिहास
मेँ पहली बार ऐसा हुआ जब
किसी प्रधानमंत्री के केबिनेट मेँ ऐक
भी ब्राह्मण
मंत्री नहीँ था। ईस सरकार ने बहुत
ही क्रांतिकारी फैसला लिया। वह
फैसला था OBC की गिनती करने
का फैसला जो मंडल का दुसरी योजना थी।
क्योँकि 1931 के आंकङे बहुत पुराने हो चुके थे। OBC
की गिनकी अगर
होती तो देश मेँ OBC की सामाजिक,
आर्थिक क्या है ऊसके सारे आंकङे पता चल जाते।
ईतना ही नही 52% OBC
अपनी संख्या का ऊपयोग राजनीतक
ऊद्देश्य के लिऐ करता तो आने
वाली सारी सरकारेँ OBC
की ही बनती। शासक वर्ग
के समर्थन बनी देवेगोङा की सरकार फिर
गिरा दी।
शासक वर्ग जानता है कि जब तक OBC धार्मिक रूप से जागृत
रहेगा तब तक हमारे जाल मेँ फँसेता रहेगा जैसे 2014 मेँ फंसा।
शायद जाति अधारित
गिनती ओबीसी की जाति अधारित
गिनती करने का निर्णय देवेगौङा ने
नहीँ किया होता तो शायद ऊनकी सरकार
नहीँ गिरायी जाती।
ब्राह्मण अपनी सत्ता बचाने के लिऐ हरसंभव
प्रयत्न लगे। वे जानते थे कि अगर यही हालात बने
रहे थे तो ब्राह्मणोँ की राजनीतिक
सत्ता छीन ली जायेगी।
जो सोनिया को कांग्रेस का नेता नहीँ बनाना चाहते थे वे
भी अब सोनिया को स्वीकार करने लगे।
कांग्रेस वर्किग कमेटी मेँ जब शरद पवार ने सोनिया के
विदेशी होने का मुद्दा उठाया तो आर.के. धवन नामक
ब्राह्मण ने थप्पङ मारा। पी ऐ संगमा, शरद पवार,
राजेश पायलट, शरद पवार,सीताराम केसरी,
सबको ठिकाने लगा दिया। शासक वर्ग ने गठबन्धन
की राजनीति स्वीकार
ली। उधर अटल
बिहारी कश्मीर पर गीत गाते
गाते 1999 मेँ फिर प्रधानमंत्री हुऐ। अगर कारगिल
नहीँ हुआ होता तो अटल फिर शायद चुनकर आते।
सरकार बनाते ही अटल बिहारी ने
संविधान समीक्षा आयोग बनाने का निर्णय किया।अरूण
शौरी ने बाबासाहब अम्बेडकर को अपमानित करने
वाली किताब 'Worship of false gods'
लिखी। ईसके विरोध मेँ सभी संगठनो विरोध
किया। विशेष बामसेफ के नेतृत्व मेँ 1000 कार्यक्रम सारे देश मेँ
लिऐ गये। अटल सरकार ने पीछे लिया। ये
भी नया हथकंडा था वास्तविक मुद्दो को दबाने का।
अब फिर 2001 मेँ जनगणना होनी थी।
मगर OBC की जनगणना नहीँ करने
का फैसला किया गया। अब कांशीराम
जी का स्वास्थ्य गिरने लगा था। ऊनके ऊत्तराधिकारियोँ
की नजर सिर्फ कुर्सी पर
ही थी। अपना स्वयं का कार्यक्रम वे
भूल चुके थे। अब यह जिम्मेदारी BAMCEF पर
आन पङी। बामसेफ के राष्ट्रीय
अध्यक्ष D.k. khaparde जी का महापरिनिर्वाण
होने बाद Waman Meshram ji ईसके राष्ट्रीय
अध्यक्ष बने। वामन मेश्राम जी ने 1 साल तक
जनजागरण अभियान चलाया।योगेन्द्र यादव भी बामसेफ
के ईस अभियान के साथ जुङे। फलस्वरूप महाराष्ट्र के कुछ
OBC कार्यकर्ता आडवाणी जी मिले।
आडवाणी ने स्पष्ट मना कर दिया कि जाति आधार और
ओबीसी की जाति आधार
गिनती नहीँ करेगे। 2001 के आंकङे
आ गये। फिर शासक जाति के लोग बदमाशी करने मेँ
सफल हो गये। 2003 के बजट से पहले ऐक प्रतिनिधिमंडल
योजना आयोग के उपाध्यक्ष से मीला जिन्होनेँ ईस
बजट मेँ OBC के लिऐ कुछ अलग से देने की मांग
की परन्तु योजना आयोग ने यह कहकर मना कर
दिया कि ऊनके पास OBC का कोई आंकङा नहीँ है।
अब 2009 आ चुका था। NDA लगातार 2 चुनाव हार चुका था।
कांग्रेस गठबन्धन 260 सीटेँ लेकर आया।मनमोहन
सिँह दुसरी बार प्रधानमंत्री बने। अब
तक बामसेफ बहुत विशाल संगठन मेँ रूपान्तरिन्त हो चुका था।
ईसके अभियान अधिक शक्तिशाली थे। वामन मेश्राम
जैसे नेतृत्व ने बामसेफ को ज्यादा ऊत्कृष्ट और आक्रामक बनाया।
अब तक बामसेफ 30 राज्य 490 जिले और 3000
तहसीलोँ मेँ फैल चुका था। कांशीराम
जी का महापरिनिर्वाण होने के बाद बामसेफ पर यह
जिम्मेदारी आ गयी कि वह ऊनके मिशन
को आगे बढाना है।
दिसम्बर 2009 मेँ बामसेफ का राष्ट्रीय अधिवेशन मेँ
जयपुर मेँ हुआ। यह विशाल अधिवेशन जिसका मैँ स्वयं गवाह
हुँ मेँ ऐक पूरा दिन OBC के लिऐ रखा गया जिसका विषय
था 'जानवरोँ की गिनती होती है
मगर OBC
गिनती नहीँ होती।' ईस
सत्र मेँ ओबीसी की के कई
बङे नेता ऊपस्थित थे। ईस अधिवेशन को विफल करने का प्रयत्न
अशोक गहलोत की सरकार द्वारा किया गया मगर
राजस्थान जाट महासभा, राजस्थान कुमावत महासभा, राजस्थान
रावणा महासभा ने अधिवेशन अपना समर्थन दिया। ईस अधिवेशन
के OBC सत्र मेँ वामन मेश्राम जी के 2 घंटे के
भाषण ने उपस्थित OBC नेताओँ को सोचने पर मजबुर कर दिया।
अपने Conclusion मेँ मेश्राम जी यह
घोषणा की अगले साल 2010 से OBC
की गिनती के लिऐ न केवल अभियान
चलाया जायेगा बल्कि ऐक नया संगठन बनाकर आन्दोलन
भी किया जायेगा।
किये गये वादे के अनुसार वामन मेश्राम जी मार्च
2010 मेँ प्रसिद्ध OBC चिन्तक और सुप्रीम कोर्ट
के अवकाशप्राप्त न्यायधीश
पी.बी. सांवत
की ऊपस्थिति मेँ ऐक क्रांतिकारी संगठन
भारत मुक्ति मोर्चा बनाया गया। भारत मुक्ति मोर्चा के माध्यम से
500 जिलोँ मेँ ऐक अभियान चलाया गया जिसका विषय था 'ईस देश मेँ
जानवरोँ की गिनती होती है
मगर
ओबीसी की गिनती नहीँ होती।'
ईस कङी मेँ बिहार के मधेपुरा वामन मेश्राम
जी की अध्यक्षता मेँ ऐक विशाल
कार्यक्रम हुआ जिसका पम्फलेट शरद यादव
जी को मिला। शरद जी को लगा कि ये
मामला ऊन्हेँ ऊठाना चाहिऐ। शरद
जी दिल्ली आये। संसद
का ग्रीष्मकालीन सत्र आहूत हुआ।
ऊन्होँने संसद मुद्दा ऊठाया जिसमेँ ऊन्होने कहा कि 'ईस देश मेँ
जानवरोँ की गिनती होती हैँ
मगर
ओबीसी की गिनती नहीँ होती।'
लालु यादव, गोपीनाथ मुंडे, दारासिँह चौहान,रामविलास
पासवान आदि ने शरद यादव का संसद मेँ जबरदस्त समर्थन किया।
तीन दिन तक सँसद बन्द रही। भारत
के ईतिहास मेँ पहली बार ईस मुद्दे पर भारत
की संसद बन्द रही।भारत
मुक्ति मोर्चा ऍव बामसेफ राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन
मेश्राम जी की सुनियोजित
रणनीति और कुशल नेतृत्व
का ही नतीजा था कि संसद मेँ ईस मुद्दे
पर सर्वदलीय सहमति बन गयी।
OBC की गिनती का मुद्दा मंडल
कमीशन से भी बङा मुद्दा था। ये शासक
वर्ग जानता था। ईसलिऐ ईस मामले का पटाक्षेप करने के लिऐ
तात्कालीन सरकार के सबसे ताकतवर
मंत्री प्रणव
मुखर्जी को दिया गया जो बंगाली ब्राह्मण
है अर्थात् मछली खाने वाले ब्राह्मण हैँ। जब 9
फर. को गिनती शुरू हुई तो OBC का Column
ही नहीँ था। वामन मेश्राम
जी ने तुरन्त सारे देश मेँ
गिनती को सहयोग नहीँ करने
की अपील की। नारा लगाया '
अगर OBC
की गिनती नहीँ तो हमारे
घर मेँ जानकारी नहीँ।' ईस अभियान मेँ
डूंगरपुर राजस्थान के हमारे वरिष्ठ साथी को निलंबित
कर दिया गया। गुजरात, महाराष्ट्र मेँ कई कार्यकर्ता जेल गये।
2011 का बजट पेश हुआ। OBC के लिऐ केवल 200 करोङ
का provision था जबकी ऊद्योगपतियोँ के लिऐ 5
लाख 70 हजार करोङ का Provision था। सारे देश मेँ भारत
मुक्ति मोर्चा द्वारा बजट जलाओ अभियान चलाया गया।
अब फिर OBC जाग्रत हो रहा है गोपीनाथ मुण्डे और छग्गन भुजबल के बारे में पता ही होगा, विरोधी सत्ता पक्ष नये हथियारों की तलाश में।
अखिल भारतीय पिछडा वर्ग महासंघ ओबीसी को अधिकारों के प्रति सचेत व जागरूक करने का कार्य लगातार कर रहा है जिसका प्रतिफल सभी पार्टियों में ओबीसी के प्रति अपना नज़रिया बदला है सभी पिछडो को अपने साथ जोड़ने को आतुर हैं !
ओबीसी महासंघ उन सभी पार्टियों को चैलेंज करता है यदि ओबीसी को उनकी आबादी के अनुपात में टिकट वितरण में हिस्सा नहीँ देते उन्हे मुह्तोड जवाब दिया जायेगा !
Unity of obc -जागो ओबीसी जागो
क्या लिँखू मे.....? धर्म के बारे मेँ
क्या लिँखू मे.....?
धर्म के बारे मेँ
क्या लिँखू मे....?
समाज के दुश्मन के बारे मेँ
कुछ समझ नहीँ आता!
कोई साथी मार्गदर्शन करेँ!
....:-(
धर्म के नाम पर होते है!
चमत्कार"
धर्म माफ़ करवा देता है!
बलात्कार"
धर्म मे तो नशा भी लगता है!
प्रसाद"
धर्म के नाम पर इन्सान होते है!
बर्बाद"
धर्म के नाम पर पशुऔँ
का मलमुत्र भी है!
स्वीकार"
धर्म के नाम पर इन्सानोँ का होता है!
बहिष्कार"
धर्म के नाम पर पुजे जाते है!
नंगे"
धर्म के नाम पर मौज उड़ाते है!
भिखमगेँ"
दया धर्म अमुल्य है!
लेकिन यही धर्म
इन्सानियत का कत्ल करता है!
धर्म सिखाता है!
आपस मे भेदभाव करना!
धर्म ही सबसे ज्यादा करता है!
जुल्म,नफ़रत का प्रचार" करना!
धर्म के नाम पर कितना अंन-दान होता है!
बर्बाद"
भुखे-नगेँ हजारोँ तड़फते है!
धर्म के इन्सानोँ नहीँ याद"
धर्म के नाम पर पैदल चलते है!
मीलोँ हजार"
किसी अँधे-लगड़े को कोई करता नहीँ है!
सड़क पार"
धर्म के नाम पर खिलाते है!
पत्थरोँ को अनेक भोग"
नहीँ दिलाता कोई उसको
दवा जिसको है!
रौग"
धर्म के नाम पर बाँटते है!
गीत,कुरान और बाईबिल,
नही बाँटते है!
कोई शिक्षा-स्कूल और किताबेँ
जो ज्ञान मिले अनमोल"
धर्म के नाम पर पत्थरोँ से करते है!
प्रेम-प्यार"
नही पुजते है!
माता-पिता को जिन्होने जन्म दे कर दिया है!
उपहार"
धर्म के नाम पर पशु भी बन जाती है!
माता
लेकिन बेटी को कोख
मे ही मार दिया जाता है!
अंशमाता
....???
बर्बरता ( कविता)
या तो कश्मीर उन्हें दे दो,या आर पार का काम करो,
सेना को दो ज़िम्मेदारी,तुम दिल्ली में आराम करो,
सेना को दो ज़िम्मेदारी,तुम दिल्ली में आराम करो,
हर हर मोदी घर घर मोदी,यह नारा सिर के पार गया,
इक दो कौड़ी का जेहादी,सैनिक को थप्पड़ मार गया,
थप्पड़ खाएं गद्दारों के,हम इतने भी मजबूर नही,
हम भारत माँ के सैनिक हैं,कोई बंधुआ मजदूर नहीं,
भारत का आँचल स्वच्छ रहे ,हम दागी भी हो सकते है,
दिल्ली गर यूँ ही मौन रही,हम बागी भी हो सकते हैं
इस राजनीती ने घाटी को,सरदर्द बनाकर छोड़ा है,
भारत के वीर जवानों को नामर्द बना कर छोड़ा है,
इस नौबत को लाने वालों,थोड़ा सा शर्म किये होते,
तुम काश्मीर में सैनिक बन,केवल इक दिवस जिए होते,
अब और नही लाचार करो,हम जीते जी मर जायेंगे,
दर्पण में देख न पाएंगे,निज वर्दी पर शर्मायेंगे,
रंगा है खुन से आज नक्सलीयों ने माटी को
दमे का रोग लग गया है क्या 56 ईंच की छाती को
दिल्ली में बैठे शेरों को सत्ता का लकवा मार गया,
इस राजनीति के चक्कर में सैनिक का साहस हार गया,
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