सोमवार, 1 मई 2017

पाखंड को खंड खंड करते कुछ अनुत्तरित_प्रश्न

पाखंड को खंड खंड करते कुछ अनुत्तरित_प्रश्न

(1)सभी देवी देवताओ ने भारत में ही जन्म क्यों लिया?
क्यों किसी भी देवी - देवता को भारत के बाहर कोइ नही जानता ?

(2 )जितने भी देवी - देवताओ की सवारियाँ हैं.... उनमे सिर्फ वही जानवर क्यों है जो कि भारत मे ही पाये जाते है?
ऐसे जानवर क्यों नहीं जो कि सिर्फ कुछ हि देशो मे पाये जाते है, जैसे कि कंगारु, जिराफ आदि !!

(3) सभी देवी देवता हमेशा राज घरानो मे ही जन्म क्यों लेते थे ?
क्यों किसी भी देवी देवता ने किसी गरीब या शुद्र के यहा जन्म नहीं लिया?

(4) पौराणिक कथाओं मे सभी देवी देवताओ की दिनचर्या का वर्णन है... जैसे ...कि कब पार्वती ने चंदन से स्नान किया, कब गणेश के लिये लड्डु बनाये, गणेश ने कैसे लड्डु खाये.. आदि... 
लेकीन जैसे हि ग्रंथो कि स्क्रीप्ट खत्म
हो गयी भगवानो कि दिनचर्या भी खत्म..
तो क्या बाद में सभी देवीदेवताऔ का देहांत हो गया ??
अब वो कहाँ है? उनकी औलादें कहाँ हैं?

(5) ग्रंथो के अनुसार पुराने समय मे सभी देवी देवताओ का पृथ्वी पर आना-जाना लगा रहता था।
जैसे कि किसी को वरदान देने या किसी पापी का सर्वनाश करने..
लेकीन अब ऐसा क्या हुआ जो देवी देवताओ ने पृथ्वी पर आना बंद
ही कर दिया??

(6) जब भी कोई पापी पाप फैलाता था तो उसका नाश करने के लिये खुद भागवान किसी राजा के यहा जन्म लेते थे .....फिर 30-35 की उम्र तक जवान होने के बाद वो पापी का नाश करते थे,
ऐसा क्यों? 
पापी का नाश जब भगवान खुद ही कर रहे हैं तो 30-35 साल का इतना ज्यादा वक्त क्यो??? 
भगवान सीधे कुछ क्यों नही करते??
जिस प्रकार उन्होने अपने खुद के ही भक्तो का उत्तराखण्ड मे नाश किया ?

(7) अगर हिन्दू धर्म कई हज़ार साल
पुराना है, तो फिर भारत के बाहर इसका प्रचार-प्रसार क्यों नहीं हुआ और एक भारत से बाहर के धर्म “इस्लाम-ईसाई” को इतनी मान्यता कैसे हासिल
हुई?
वो आपके अपने पुरातन हिन्दू धर्म से ज़्यादा अनुयायी कैसे बना सका? हिन्दू देवी-देवता उन्हें नहीं रोक रहें??

(8) अगर हिन्दू धर्म के अनुसार एक
जीवित पत्नी के रहते, दूसरा विवाह अनुचित है, तो फिर राम के पिता दशरथ ने चार विवाह किस नीति अनुसार किये थे?

(9) अगर शिव के पुत्र गनेश की गर्दन शिव ने काट दी, तो फिर यह कैसा भगवान है??
जो उस कटी गर्दन को उसी जगह पर क्यों नहीं जोड़ सका??
क्यों एक निरपराध जानवर (हाथी) की हत्या करके उसकी गर्दन गणेश की धड़ पर लगाई? 
एक इंसान के बच्चे के धड़़ पर हाथी की गर्दन कैसे फिट आ गयी?

(10) अगर हिन्दू धर्म में मांसाहार वर्जित है, तो फिर राम स्वर्णमृग (हिरन) को मारने क्यों गए थे? क्या मृग हत्या जीव हत्या नहीं है? (वे क्या आइस-पाइस खेल रहे थे???)

(11) राम अगर भगवान है, तो फिर उसको यह क्यों नहीं पता था कि रावण की नाभी में अमृत है?
अगर उसको घर का भेदी ना बताता कि रावण की नाभी में अमृत है, तो उस युद्ध में रावण कभी नहीं मारा जाता।
क्या भगवन ऐसा होता है?

(12) तुम कहते हो कि कृष्ण तुम्हारे भगवान हैं......तो क्या नहाती हुई निर्वस्त्र गोपीयों को छुपकर देखने वाला व्यक्ति, भगवान हो सकता है?
अगर ऐसा काम कोई व्यक्ति आज के दौर में करे, तो हम उसे छिछोरा-नालायक कहते हैं। 
तो आप कृष्ण को भगवान क्यों कहते हो?

(13) हिन्दूओ में बलात्कारीयोंका प्रमाण अधिक क्यों होते हैं? यहाँ तक की वेवता भी बलात्कारी हैं....जैसे ब्रह्मा(सरस्वती से वैवाहिक बलात्कार)..(अहिल्या और वृंदा के संग विष्णु द्वारा छल से बलात्कार)

(14) शिव के लिंग (पेनिस) की पूजा क्यों करते हैं? क्या उनके शरीर में कोई और चीज़ पूजा के क़ाबिल नहीं?

(15) खुजराहो के मंदिरों में काम-क्रीड़ा और उत्तेजक चित्र हैं, फिर ऐसे स्थान को मंदिर क्यों कहा जाता है?
क्या काम-क्रीडा, हिन्दू धर्मानुसार पूजनीय है?

सवाल तो और भी बहुत है, लेकेन पहले इनके जवाब मिल जाये बस!

भारत में sunday की छुट्टी

भारत में sunday की छुट्टी
किस व्यक्ति ने हमें दिलाई?
और इसके पीछे उस महान व्यक्ति का क्या मकसद था?
क्या है इसका इतिहास?
साथियों, जिस व्यक्ति की वजह से हमें ये छुट्टी हासिल हुयी है, उस महापुरुष का नाम है "नारायण मेघाजी लोखंडे". नारायण मेघाजी लोखंडे ये जोतीराव फुलेजी के सत्यशोधक आन्दोलन के कार्यकर्ता थे। और कामगार नेता भी थे। अंग्रेजो के समय में हफ्ते के सातो दिन मजदूरो को काम करना पड़ता था। लेकिन नारायण मेघाजी लोखंडे जी का ये मानना था की, हफ्ते में सात दिन हम अपने परिवार के लिए काम करते है। लेकिन जिस समाज की बदौलत हमें नौकरिया मिली है, उस समाज की समस्या छुड़ाने के लिए हमें एक दिन छुट्टी मिलनी चाहिए। उसके लिए उन्होंने अंग्रेजो के सामने 1881 में प्रस्ताव रखा। लेकिन अंग्रेज ये प्रस्ताव मानने के लिए तयार नहीं थे। इसलिए आख़िरकार नारायण मेघाजी लोखंडे जी को इस sunday की छुट्टी के लिए 1881 में आन्दोलन करना पड़ा। ये आन्दोलन दिन-ब-दिन बढ़ते गया। लगभग 8 साल ये आन्दोलन चला। आखिरकार 1889 में अंग्रेजो को sunday की छुट्टी का ऐलान करना पड़ा। ये है इतिहास।
क्या हम इसके बारे में जानते है?
अनपढ़ लोग छोड़ो लेकिन क्या पढ़े लिखे लोग भी इस बात को जानते है?
जहा तक हमारी जानकारी है, पढ़े लिखे लोग भी इस बात को नहीं जानते। अगर जानकारी होती तो sunday के दिन enjoy नहीं करते....समाज का काम करते....और अगर समाज का काम ईमानदारी से करते तो समाज में भुखमरी, बेरोजगारी, बलात्कार, गरीबी, लाचारी ये समस्या नहीं होती।
साथियों, इस sunday की छुट्टीपर हमारा हक़ नहीं है, इसपर "समाज" का हक़ है। कोई बात नहीं, आज तक हमें ये मालूम नहीं था लेकिन अगर आज हमें मालूम हुआ है तो आज से ही sunday का ये दिन सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित करें.!!

सर्वे

..अनुसूचीत (SC) समाज की एक टीम ने 2 महीने की मेहनत कर भारत के समस्त राज्यों से sc की जनसंख्या जानने की कोशिश की है जिसके अनुसार सूची तयार हुई हे। उम्मीद है हम अपनी शक्ति पहचाने और एकजुट होकर कार्य करे।

1) जम्मू कश्मीर : 52 लाख
2) पंजाब : 250 लाख 
3) हरयाणा : 150 लाख 
4) राजस्थान : 105लाख 
5) गुजरात : 90 लाख 
6) महाराष्ट्र : 159 लाख 
7) गोवा : 29 लाख 
8) कर्णाटक : 105 लाख
9) केरल : 40  लाख 
10) तमिलनाडु : 60 लाख 
11) आँध्रप्रदेश : 90  लाख 
12) छत्तीसगढ़ : 49  लाख 
13) उड़ीसा : 105  लाख 
14) झारखण्ड : 50 लाख 
15) बिहार : 191 लाख 
16) पश्चिम बंगाल : 57 लाख 
17) मध्य प्रदेश : 94  लाख  
18) उत्तर प्रदेश : 14 crore
19) उत्तराखंड : 48 लाख
20) हिमाचल : 84 लाख 
21) सिक्किम : 10  लाख 
22) आसाम : 29 लाख 
23) मिजोरम :7 लाख 
24) अरुणाचल : 9लाख 
25) नागालैंड :12 लाख 
26) मणिपुर : 19 लाख 
27) मेघालय : 20 लाख 
28) त्रिपुरा : 23लाख

यानि की भारत में SC की कुल संख्या 31 करोड़ 75 लाख 42 हजार है।

अर्थात...

भारत की कुल आबादी का 25.40%

(इसमें ST भाईयों को नहीं जोड़ा गया है। अगर उन्हें भी जोड़ लिया जाए तब सिर्फ अंदाजा लगाओ की यह प्रतिशत कहाँ जाएगा। क्योंकि; त्रीपुरा, मेघालय, मणीपुर, नागालैंड, मिजोरम और सिक्कीम की 70% आबादी ST भाईयों की है। साथ ही झारखंड, छत्तीसगढ़, आसाम और उड़ीसा में भी ST भाईयों की आबादी काफी है।)

 सबसे ज्यादा sc जनसंख्यावाला राज्य: उत्तर प्रदेश और हरयाणा

सबसे कम sc जनसंख्या वाला राज्य:  सिक्किम

सबसे ज्यादा sc राजनैतिक वर्चस्व रखने वाला राज्य:  राजस्थान

सबसे ज्यादा प्रतिशत वाला राज्य:  हरयाणा कुल जनसंख्या का 80% sc ।

सबसे ज्यादा अच्छी आर्थिक स्तिथि में sc  पंजाब में

सबसे ज्यादा बार sc मुख्यमंत्री बनाने वाला राज्य:  हरयाणा

सबसे ज्यादा sc सरपंच बनाने वाला राज्य:  राजस्थान

कुछ बात तो है कि हस्ती मिटती नही हमारी...मिट गये हमे मिटाने वाले।


जरा सोचो...भारत की आबादी का 25% जनसंख्या अगर एक हो जाए तो हम 3% आबादी वाले ब्राह्मणवादी सोच की नस्लों को उखाड़ फेकेंगें।

हम एक नहीं हैं...इसलिए हमपर अत्याचार होते रहते हैं...वर्ना किसी की औकात नहीं की गुजरात में सरेआम दलितों को नंगा करके बीच सड़क पर पीटा जाए। किसी की औकात नहीं की रोहीत बेमुला को आत्महत्या करने पर मजबुर कर दे।

SC एक हो जाओ....ब्राहम्णवादी सोच जहाँ दिखे...जहाँ सुनाई पड़े वहीं कुचल दो।

यदि sc हो तो इसे आगे भी sc भाईयों को शेयर करो वर्ना इग्नोर तो दुसरी प्रजातियाँ भी कर देगी ...!

जय भीम साथियों

चमारो का इतिहास

चमारो का इतिहास
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आप सभी साथी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे ।
हजारो वर्षो पहले एशिया महाद्वीप में एक राजवंश रहा
करता था । जिसे इक्ष्वाँकु राजवंश या सूर्यवंशी क्षत्रिय
कहते थे । इस इक्ष्वाँकु राजवंश से सब घबराते थे । इसी वंश में
भगवान गौतम बुद्ध , अशोक सम्राट ,
चन्द्रगुप्त मौर्य जैसे महान सम्राट पैदा हुए थे ।
लेकिन आज कल कुछ हिंदूवादी इस परिवार का हिन्दुकरण
करना चाहते हैं। जब की सच्चाई ये है की इक्ष्वाँकु राजवंश
चमारो का वंश है।
चमार ही सूर्यवंशी क्षत्रिय है । और बुद्ध के वंशज हैं ।आइये
प्रमाणित करे कैसे ।
1- बौद्ध लोग जीव हिंसा से विरक्त रहते थे ।लेकिन मांस
खाते थे अर्थात वो किसी भी जीव को काट कर कुर्बानी
दे कर या बली देकर माँस नही खाते थे । बल्कि भारतीय
बुद्धिस्ट सिर्फ मरे हुए जानवर का माँस खाते थे । जिस में
की जीव होता ही नही था । इस प्रकार जीव हत्या नही
करते थे । और पुरे भारत में ऐसा करने वाली सिर्फ एक जाती
थी वो है चमार, आप बुजुर्गो से पता कर सकते हैं ।
2- पुरे भारत में जनश्रुतियो और लोक कथाओ में चमार को
ब्राह्मण बड़ा भाई बताता है । क्यों की ब्राह्मण हिन्दू धर्म
का मुखिया है । तो चमार बौद्ध धर्म का मुखिया है ।
इसीलिए चमारो की शादी में पंडित नही बुलाया जाता ।
3- रामायण में और कुमारिल भट्ट की किताबो में बुद्ध को
शुद्र लिखा गया है और रिअल में भी चमार को ही मुख्य शुद्र
माना गया है । अन्य जातिया कभी निशाने पर नही रही।
4- समस्त जातियों में सिर्फ चमार जाती ही ऐसी है जो
गरीब होने के बावजूद अपनी आन - बाँन - शाँन पे मर मिटती
है और इस जाती में आज भी राजसी गुण झलकते हैं ।
5- चमारो का घर गाँव के बाहर अक्सर होता है । क्योंकि
चमार गाँव के राजा होते थे । इनको ही गाँवों में डीह
बाबा कहा जाता है।
6- चमार जाती से बौद्ध धर्म छिनने के बाद उसे धर्म विहीन
कर दिया गया था और अछूत इस लिए बना दिया गया की
यह जाती फिर कही से बौद्ध धम्म न खड़ा कर पाए ।
7- चमार जाति की शिक्षा पर रोक इसीलिए लगाई गई थी
की वह अनपढ़ रहेगा तो खुद को चमार अछूत समझेगा कभी
यह नही जान पायेगा की चमार एक राजशाही खून है । इस
लिए चमारों की शिक्षा पर रोक लगाई गई थी की चमार
शिक्षा पायेगा तो फिर से बौद्ध धम्म खड़ा कर देगा ।
8 - चमार खूद को इसीलिए चमार कहलाना पसंद नही करते
क्योंकि चमार इन का नाम है ही नही इनका नाम तो
सूर्यवंशी क्षत्रिय था ।
इसीलिए चमार आज भी खुद को चमार कहने पर भडक जाते हैं
। और लड़ाईयाँ हो जाती है ।
9- ब्राह्मणो में जिस तरह शुक्ला, शर्मा आदि समर्थ
जातियाँ हैं, चमारो की भी समर्थ जातियाँ थी ।
जैसे की - कोरी चमार ,
नोनिया - चमार
तांती - चमार
दुसाध - चमार
पासी - चमार
आदि लेकिन चमारो की सत्ता विलुप्त होने के बाद इन सब
में फुट पड़ती गई ।
10- चन्द्रगुप्त मौर्य भी चमार थे । लेकिन गोरे और सुन्दर थे
जब की चाणक्य ब्राह्मण था और काला इसी लिए कहावत
बन गई की -
"काला बाभन गोरा चमार दुई जात से सदा होशियार" ।
11- जो भी जातियाँ आर्य नही थी वो चमार कहलाती
थी और ऐसा आज भी है चाहे मौर्या हो या नोनिया,
यादुशाध या अन्य शुद्र ब्रह्मण सब को चमार ही कहता है।
ये सारी बाते जो ऊपर लिखी गई हैं ।ये वर्मा और तिब्बत के
बौद्ध ग्रंथो में इसका प्रमाण है । और अधिक जानकारी हेतु
आप बाबा साहब की लिखी किताब
WHO WAS SHUDRAS?
(शुद्र कौन थे ?)
से पढ़ सकते हैं।
अत: हर चमार से अनुरोध है कि इस मैसेज को किसी अगले
चमार बौद्ध भाई के पास जरुर भेजे ताकि उसको भी यह पता
चले कि उस का खून भेड़-बकरियों का नही है बल्कि हर चमार
सूर्यवंशी है ।
जय भीम ।
जय भारत ।।

हिन्दुस्तान नाम का कोई देश दुनिया में नहीं है

हिन्दुस्तान नाम का कोई देश दुनिया में नहीं है 

हिन्दू नाम का कोई धर्म दुनिया में नहीं है 

हिन्दु धर्म 
ब्राह्मण धर्म का नया नाम है 

जो SC/ST/OBC के लोगों को जब वयस्क मताधिकार का अधिकार अंग्रजों नें दिया 
तब जाकर 3.5% ब्राह्मणों को लगा कि हम लोग लोकतंत्र में शासक नहीं बन सकते हैं 
परन्तु अगर हम ब्राह्मण धर्म 
जिसमें वर्ण व्यवस्था है 
ब्राह्मण 
क्षञिय 
वैश्य 
शुद्र (OBC) जो 52% है 
अति शुद्र (SC/ST) 22.5% है 
जिनको हमने गुलाम बना रखा है 
कभी भी ब्राह्मण धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण नहीं किया जा सकता है 
तो क्या किया जाये 
ब्राह्मणों नें ब्राह्मण धर्म का नाम हिन्दू रखा और 
समाज में व्यवस्था ब्राह्मण धर्म कि ही रखी 

अब SC/ST/OBC के लोगों को 
ब्राह्मणों के षडयंत्र का पता ना लगे 
ब्राह्मणों दवारा इतिहास में हमारे लोगों पर किये गये अमानवीय अत्याचार का पता ना लगे 
इसके लिए मुसलमानों को काल्पनिक दुश्मन बना कर रात दिन हिंदू मुसलमान का मामला खड़ा किया जाता है 
इससे क्या होता है 
SC/ST/OBC का आदमी मुसलमान के विरोध में प्रतिक्रिया (reaction) करता है 
और हिंदू बन जाता है 
और अल्पसंख्यक ब्राह्मण बहुसंख्यक हो जाता है 
और राज सत्ता पाकर 
SC/ST/OBC के विरोध में षडयंत्र करने के लिए 
OBC को वर्ण व्यवस्था में छुत शुद्र (touchable गुलाम )बता कर उसको हजारों सालों से पारित सांत्वना पुरस्कार देकर अपने ही DNA रिसर्च से सिद्ध भाई अनुसुचित जाति /जनजाति  के विरोध में लडने के लिए तैयार करता है 

यह कब हो सकता है 
जब इनका नामकरण संविधान के विरोध में जाकर असंवैधानिक शब्द 
जिसको कोर्ट नें प्रतिबंध लगाया उस शब्द को इस्तेमाल करके

 दलित दलित कहा जाये 
इसको कैसे स्थापित किया जाये 
इसके लिए 
रोज ब्राह्मण बनिया अखबारों में यह दिखाया जाये कि आज दलितो को वहाँ पिटा 
आज दलितों को मंदिर में नहीं घुसने दिया 
आज वहाँ दलितो को खाना नहीं खाने दिया 
आज दलितो को 
पानी नहीं पिने दिया गया 
आज दलितो को रास्ते पर नहीं जाने दिया गया 
आज दलितों को शमशान में शव नहीं जलाने दिया गया 
आज दलितों को अलग बिठाया गया 
आदमी चाहे डाक्टर /इंजिनियर /IAS/IPS /वकिल/लेखक /हिरो /हिरोईन /क्रिकेटर  बन जाये पर रोज इनको दलित डाक्टर 
दलित इंजिनियर 
दलित लेखक 
दलित नेता कहकर 
ओबीसी के दिमाग में इनको हिन स्थापित किया जाये 
और ओबीसी को ही इस्तेमाल करके इनपर अन्याय अत्याचार किया जाये 

इससे दो फायदे हैं 
एक तो यह भाई भाई कभी अपने को समान नहीं समझेंगे 
और पास पास नहीं बैठेगें तो 
क्या होगा 
हम ही दोनो को इस्तेमाल करके 
राज करते रहेगें 
अनुसुचित जाति का आदमी ओबीसी को ही अपना दुश्मन मानता रहेगा और षडयंत्रकारी ब्राह्मण सामने नहीं आयेगा 
केवल मनुवादी मनुवादी कहकर चिल्लाता रहेगा 
प्रतिक्रिया करता रहेगा 
संगठित होने का सोच भी नहीं पायेगा 
फिर क्या 
52% ओबीसी गुलाम 
52% ओबीसी को संविधान के विरोध में जाकर 27% शासन प्रशासन में अधिकार दिया 
उसमें भी संविधान के विरोध में जाकर क्रिमी लेयर का षडयंत्र करके पैसे वाले और गरीब ओबीसी को संगठित नहीं होने दिया 
इस कारण आज ओबीसी का शासन प्रशासन में आरक्षण को लागू होने के 20 साल बाद भी केवल 5.2% ही दिया 
परन्तु हमारे ओबीसी भाई 
इनके सांत्वना पुरस्कार 
कि हम लोग ब्राह्मणों के साथ बैठ सकते हैं 
हमें वह लोग छुते हैं 
इस हजारों सालों के सांत्वना पुरस्कार के षडयंत्र कि वजह से हम लोग गुलाम बनें हुए हैं 
गुलाम केवल शरीर से बंधे आदमी को नहीं कहा जाता 
जिस समाज कि हजारों समस्याएं होती है 
वह समाज गुलाम होता है 
और गुलाम समाज मालिक के पास जाकर हक अधिकार कि मांग करता है 
शासन प्रशासन में 3.5% ब्राह्मणों का  78% पदों पर कब्जा है 
न्याय पालिका में 3.5% ब्राह्मण 98% जजों के पदों पर कब्जा है 
लोकतंत्र में कोई भी कब्जा जायज नहीं होता है 

लोकतंत्र में हर कब्जा नाजायज़ होता है 
लोकतंत्र में सबका जनसंख्या के अनुपात में representation(प्रतिनिधित्व )होता है 
किसी कि मेरीट कि वजह से 
बुद्धिमता कि वजह से नहीं 
ऐसा होता तो अंग्रेज ब्राह्मणों से ज्यादा विद्वान थे 
तो अंग्रजों को भारत छोडने के लिए आंदोलन करने कि कहाँ जरूरत थी 
लोकतंत्र 
लोगों के लिए 
लोगों के दवारा 
लोगों के हित के लिए निर्माण किया जाता है
ना कि किसी जाति विशेष को कब्जा कराने के लिए किया जाता है 

आज तक किसी मुसलमान नें ऐसा कोई भी संगठन नहीं बनाया कि वह SC/ST/OBC कि किसी 
रोजगार 
रोटी 
कपड़ा 
मकान के अधिकार का विरोध करता हो 
उसके धार्मिक हकों का विरोध करता हो 
परन्तु 
ब्राह्मण राज करने के लिए SC/ST/OBC को हिंदू बनाने के लिए 
रोज रोज 
गाय 
गाय मूञ 
भारत पाकिस्तान के मैच 
कश्मीर समस्या जो राजनितिक मुद्दा है उसको 
धार्मिक बनाकर 
आंतकवादी बता कर रातदिन मुसलमानों के विरोध में षडयंत्र करता है 

देश का नाम भारत है 
जो संविधान के पहले पेज पर लिखा है 
बाबा साहब अम्बेडकर यह जानते थे कि मेरे जाने के बाद यह संविधान का हिंदी संस्करण करेगें 
उसमें 
India शब्द का हिंदी में अनुवाद हिंदूस्तान करेगें 
इसलिए बाबा साहब अम्बेडकर नें 
संविधान के पहले पेज पर ही अंग्रेजी संस्करण में ही हिंदी अनुवाद लिखा 
इंडिया देट इज भारत
और ब्राह्मणों के षडयंत्र कि नसबंदी कर दी 
परन्तु ब्राह्मणों नें षडयंत्र जारी रखा 
प्रिन्ट मिडिया 
इलेक्ट्रॉनिक मिडिया 
ट्रेडिशनल मिडिया 
वोकल मिडिया 
के दवारा रात दिन हिंदुस्तान 
हिंदुस्तान कि रट लगाई 
भारत के संविधान को दुनिया नें सराहा 
ब्राह्मणों नें भी सराहा परन्तु ना कभी उसके लागू किया 
ना कभी उसको हमारे लोगों को पाठयक्रम में पढाया गया 
यह है षडयंत्र 
समझो 
और लोगों को जानकार बनाओ 
जानकारी हथियार होती है 

परशुराम कौन हैं

परशुराम कौन हैं


पर+शु+राम- पराया + शुद्र+ राम ,से परशुराम बना...

          कैसे ???


भारत के इतिहास के शुरूआती दौर में आर्यो के आगमन के बाद भारत में आर्यो ने चार वर्ण का निर्माण किया, ब्राह्मण , क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र, और शूद्र दो प्रकार के थे सछुत और अछूत ...सछुत जो इन तीनों वर्णो की सेवा करता था और अछूत जो इन सबसे बहुत दूर रहता था और उसे दिन में निकलना मना था...
और समाज का प्रमुख ब्राह्मण होता था.. एक बार क्षत्रियों ने ब्राह्मण के सामने एक सर्त रखी की राज्य की सीमा की रक्षा हम करते हैं हम अपने प्राण देते है राज्य के लिए लेकिन हमें कुछ नही मिलता राज्य में सारे अधिकार आपके पास हैं...ऐसा करिये आप पुरोहित बन जाइये और हमे शासक(राजा) घोसित कर दीजिये..ब्राह्मणों ने नकार दिया और क्षत्रियो को ये बात पची नहीं और वो ब्राह्मणों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया और युद्ध में सारे ब्राह्मण पुरुष मारे गए क्योकि ब्राह्मन युद्ध में हथियार चलाना नही जानते थे.... सिर्फ महिलाएं बची और वो भागकर अछूत शुद्र के यहाँ पनाह ली क्योकि महिलाये जानती थी की अछूत शुद्र के यहाँ क्षत्रिय नहीं आएंगे.. फिर अछूत शुद्र और ब्राह्मण महिला के मिलन से एक पुत्र पैदा हुआ जो परशुराम कहलाया और यहीं से ब्राह्मणों में चमरू संतान गोत्र आ गया...आज भारत में जितने भी ब्राह्मण है वो शूद्रों के ही वंशज है लेकिन इस कहानी को छुपा लिया गया ताकि शुद्र इस बात को जानने ना पाएं...

पर+शु+राम- पराया + शुद्र+ राम ,से परशुराम बना...

जब परशुराम की माँ ने बताया तो उसने अपने आप को ब्राह्मण पुत्र सिद्ध करने के लिए अपने पिता की हत्या कर दी।

इसके बाद परशुराम ने क्षत्रियों से युद्ध शुरू किया और जिसमें क्षत्रियों को 21 बार पराजित कर सभी क्षत्रियों को मार दिया... और क्षत्रियों की महिलाएं भी जाकर अछूत शुद्र के यहाँ पनाह ली...

इसके बाद जो पुत्र हुए वे आपस में सुलह कर लिए और क्षत्रिय ब्राह्मण को अपने से श्रेष्ट बना लिए एक दूसरे के सहयोगी बनकर साथ काम करने लगे..

लेकिन जिन्होंने इनकी माताओ पनाह दिया और जिनसे ये उत्पन्न हुए उन्ही की इनकी माताओ ने हत्या करवा दी और भी ज्यादा शुद्रो के साथ अत्याचार शुरू कर दिए....

भारत के सभी ब्राह्मण ठाकुर भी शुद्र हैं

पर इस बात को ये मानेंगे नही क्योकि ऐसे इतिहास को छुपा लिया जाता है ताकि अपनी प्रतिष्ठा बनी रहे ।

यकीन नहीं तो कभी होशियार ब्राह्मण से पूछियेगा की आपके जाती में चमरू संतान होती है या नहीं..

ये है भारत का असली इतिहास l बाकि सब झूठ है l

ये है भारत का असली इतिहासl बाकि सब झूठ हैl `ZKHY
              इस पोस्ट के अन्दर दबे हुए इतिहास के पन्ने हैl जिसमें मूलनिवासी द्रविड कौन है? देवी-देवता कौन है?आर्य कौन है?जातिवाद,पूँजीवाद क्या है?इस पोस्ट को जरूर पड़ेl

               आप द्रविड़ शब्द का अर्थ जानते हो? कुछ लोग मेरे ख्याल से नहीं जानते होंगेl उनके लिए मैं संक्षिप्त में जानकारी प्रस्तुत कर रहा हूँ। द्रविड शब्द सभी ने अपने विद्यार्थी जीवन में अवशय पढ़ा होगाl साथ ही यह भी पढ़ा होगा की भारत देश की सभ्यता आर्य और द्रविड लोगों की मिली-जुली सभ्यता हैl और यह भी पढ़ा होगा की आर्य बाहर से आये हुए लोग है। हमारे भारतीय इतिहासकार लोगो ने बहुत सारी बातो को दबा दिया हैl भारत में आर्यों का आगमन हुआl ये कौन लोग है? कहाँ से आए?भारत में ये लोग है या नहीl इस बारे में इतिहासकार इतिहास में लिखते नहीं। क्यों? क्योंकी आज भारत देश में इतिहास लिखनेवाले आर्य लोग ही है। लेकिन आप उसे पहचानते नहीं। क्या आपको पता है? आपको शिक्षा कब से मिली ?और आप कौन से वर्ण में आते है? आप इस जाति में क्यों है? आप का इतिहास क्या था? जिस दिन इन बातो को खोजना शुरू करेंगे। आपको उत्तर मिलना शुरू हो जायेगा ।और जब समझ में आएगा तब आपको अहसास होगा की मैं गुलाम हूँ।आर्यों ने हमें घेर रखा हैl अब मैं कुछ करू। क्योंकी द्रविड कोई और नहीं आप ही द्रविड हो।
इतिहास के पन्नोे से आर्य कोई और नहीं ब्राम्हण,क्षत्रिय,वैश्य ही आर्य है। ये अर्थवा,रथाईस्ट,वास्तारिया जाति के हैl इनका आगमन आज से 4500 साल पहले 2500 ईसा पूर्व भारत में हुआ थाl ये घुड़-सवारी होते थे और लोहे के तलवार रखते थेl ये अपने साथ गाय भी लेकर आये थे। उस समय भारत तीन भागो में बटा थाl पश्चिमोत्तर में राजा बलि का राज था। पूर्वोत्तर में राजा शंकर का राज थाl जिसे आप शंकर भगवान कहते होl और दक्षिण में राजा रावण का राज थाl जिसे आप हर साल जलाते हो और खुसिया मनाते होl आर्य के  आगमन के पहले भारत के मूलनिवासी द्रविड लोग थेl उस समय भारत के द्रविड लोग कृषि पशुपालन,पक्के ईटो के घर ,नहाने के लिए स्नानागार, देश-विदेश में ब्यापार ,विज्ञानवादी सोच ,मूर्ती निर्माण कला ,चित्रकारी में कुशल,शांति प्रिय ,एक उन्नत सभ्यता थीl उस समय अन्य  देशोसे तुलना करे तो हमारी सभ्यता उनसे काफी विकसित थी।आर्योने सर्वप्रथम राजा बलि के राज में प्रवेश कियाl झुग्गी-झोपडी बनाकर रहने लगेl चोरी-चकारी करना शुरू किया। द्रविड़ो ने राजा से शिकायत कीl द्रविड़ो ने आर्यों को पकड़ कर राजा के सामने हाजिर किये। आर्यों ने पेट का हवाला दियाl राजा बलि दयालु मानवता प्रेमी थे। उसने माफ़ कर दिया और आर्यों के रहने-खाने का बंदोबस्त कर दिया ,और चोरी न करने की सलाह दीl कुछ दिन में राजा और प्रजा के ब्यवहार समझ जाने के बाद आर्यों ने एक योजना बनायीl इसमें बामन नाम का एक आदमी (जिसे आज विष्णु भगवान कहते है) सभी आर्यों में तेज बुध्दीवान था*l पुरे आर्य ग्रुप के साथ राजा बलि के दरबार पहुचे और कहा राजा साहब हम आपके दरबार में बहुत सुखी हैl पर कुछ और हमें चाहिए दे देते तो बड़ी मेहरबानी होतीl राजा बलि ने कहा मांगो। आर्यों ने कहा राजा साहब हमने सुना है, आपके राज में त्रिवाचा चलता हैl अर्थात तीन वचन। हमें भी त्रिवाचा दीजिये, कही मुकर जायेंगे तो। इस प्रकार आर्यों ने छल-कपट पूर्वक राजा बलि के सामने  तीन मांगे रखी। *पहली- राजा साहब हमें ऐसी शिक्षा का अधिकार दो, जिसे चाहे हम दे और न चाहे तो न दे। दूसरी-राजा साहब हमें ऐसा धन का अधिकार दो, जिसे चाहे हम दे न चाहे तो न देl तीसरी- राजा साहब हमें ऐसा राज करने का अधिकार दो, जिसे चाहे उसे राज में बिठाये और न चाहे तो न बिठाये। इसप्रकार आर्यों ने छल-पूर्वक राजा बलि से शिक्षा, धन ,राज करने का अधिकार ले लिए और राज में स्वयं बैठ गए। सैनिक शक्ति में अपने लोगो का कब्ज़ा करवा दिया। फिर राजा बलि को मारकर जमीन में गाढ़ दिया। जिसे कहा जाता है, विष्णु भगवान ने राजा बलि से दान में धरती पर तीन पग जमीन माँगीl ये तीन पग शिक्षा, धन, राज करने का अधिकार हैl जमीन में गाडा इसे बताया जाता है पाताल लोक का राजा बना दिया। आप तो पढ़े-लिखे होl जरा सोचो क्या किसी का पैर इतना बड़ा हो सकता हैl जो पुरी पृथ्वी को ढक ले। और पुरी पृथ्वी पर कब्ज़ा होता, तो विष्णु भगवान को अन्य देश के लोग क्यों नहीं जानते। क्यों नहीं पूजते। इसप्रकार आर्यों ने राजा बलि का राज हड़प लियाl उसी दिन से आर्य और द्रविड(भारत के मूलनिवासी) के बीच युद्ध जारी हैl
           इसके बाद राजा शंकर का राज हड़पने के लिए योजना बनायी। इसके लिए विष्णु ने अपनी बहन की शादी राजा शंकर से करने के लिए सोचा और शादी का प्रस्ताव भेजाl राजा शंकर का सेनापति महिषासुर थाl वो आर्यों की चाल समझ गया था, उसने मना करवा दिया। महिषासुर रोड़ा बन गया। तो आर्य पुत्री पार्वती ने ही महिषासुर को मारने के लिए उसे अपने प्रेम-जाल में फँसाया और खून करने के लिए आठ दिन तक मौका खोजती रहीl नौवे दिन जैसे ही मौका मिला धोखे से त्रिशूलद्वारा हत्या कर दी, और शंकर के पास दासी के रूप में सेवा करने लगी। धीरे-धीरे पार्वतीने अपनी खूबसूरती से शंकर को भी वश में कर लिया। और योजनाबद्ध तरीके से राजा शंकर को नशा की आदत लगा दीl इसप्रकार नशा के आदि होकर राजा शंकर का राज-पाठ से मोह-भंग हो गयाl फिर आर्यों ने उनका भी राज चलाया और नशे से आपका शरीर गर्म हो गया यह कहकर हिमालय पर्वत में रहने की सलाह दीl जिसे आज कैलाश पर्वत कहते है। इसप्रकार दो राज्यों में आर्यों का कब्ज़ा हो गया। फिर रावण का राज हड़पने के लिए युद्ध छेढ दिया गया। बिभिशन के दोगलापन के कारण छल से रावण को भी भारी मसक्कत के बाद आखिर में मार दिया गया। इसप्रकार तीनो राज्यों में आर्यों ने कब्ज़ा कर लिया। आर्यों ने अपने को देव और भारत के मूलनिवासी(द्रविड) को असुर कहाl इसप्रकार 1500 वर्षो तक चले युद्ध के बाद द्रविड पूर्ण रूप से हार गए। यह युद्ध इतिहास में देवासुर-संग्राम के नाम से प्रसिद्ध है।
देवासुर-संग्राम के बाद ही जाति व वर्ण व्यवस्था बनायी। आर्यों ने अर्थवा को ब्राम्हण,रथाईस्ट को क्षत्रिय और वस्तारिया जाति को वैश्य(बनिया) घोषित किया और भारत के मूलनिवासी(द्रविड) को शुद्र घोषित किया। और शुद्र में दो वर्ग बनाये जितने लोगो ने लड़ा-भिड़ा उसे अछूत शुद्र कहा और बाकि को सछुत शुद्र घोषित किया। तथा सामाजिक एकता तोड़ने के लिए उन्होंने सिर्फ शुद्र की ही जाति बनायीl आज ये जाति लगभग 6743 की संख्या में हैl इसकी लिस्ट गूगलनेट में देख सकते है। ब्राम्हण, क्षत्रिय,वैश्य की कोई जाति नहीं होतीl उनका सिर्फ वर्ण ही होता है। जैसे शर्मा, दुबे, चौबे, श्रीवास्तव ,द्विवेदी इनके गोत्र है जाति नहींयकिन न हो तो चतुराई से पुछ कर देख लेना। इस देवासुर-संग्राम में जो लोग लड़-भीड़ कर जंगल में शरण लीl और युद्ध जारी रखाl वो वन शरणागत शुद्र(आदिवासी) ST कहलाये ,और जो लोग लड़-भीड़ कर हार कर वही समाज के बाहर रहने लगे वो (अछूत) SC कहलायेI और बाकि शुद्र सछुत शुद्र कहलायेl जिनमें अन्य (पिछड़ा वर्ग) OBC आता है।
जिसने जैसा संग्राम किया उसे उतना ही घृणित कार्य दिया गया। रामायण, महाभारत ,चारो वेद ,उपनिषद,पुराण उसी समय के लिखे गए ग्रन्थ है। इस प्रकार जातियाँ द्रविड की सामाजिक एकता तोड़ने के लिए बनायी गयी और देवी-देवता धार्मिक गुलाम बनाने के लिए बनाए गए।
हम देवी-देवता के रूप में सभी आर्यों की पूजा करते हैl ये सारे देवी-देवता झूठे(false) है। यह सत्य होता तो पुरे विश्व में देवी-देवता मानतेl भारत में ही क्यों? इसप्रकार शिक्षा का अधिकार ब्राम्हण ने ले लियाl क्षत्रिय ने राज करने का, वैश्य ने धन का अधिकार ले लिया और शुद्र(द्रविड) मूलनिवासी को तीनो वर्णों की सिर्फ सेवा करने का काम दिया गया। जिसे आपने कहीं न कहीं  अवश्य पढा होगाl इसके बाद महावीर स्वामी ने जाति व वर्ण ब्यवस्था का विरोध किया थाl (583 ईसा पूर्व में) पर ज्यादा सफल नहीं हुए।
फिर गौतम बुद्ध ने (534 ईसा पूर्व) बौद्ध धर्म जो मानव जाति का प्रकृति प्रदत धम्म को खोजाl जो शाश्वत धम्म है। जिसने पुरे विश्व के मानव जीवन का कल्याण खोज निकालाl जाति व वर्ण व्यवस्था को लगभग समाप्त कर दिया था। गौतम बुद्ध के बाद मौर्य वंश में चन्द्रगुप्त मौर्य अशोकने बौद्ध धर्म को नई उचाई दीl अशोक के पुत्र-पुत्री ने कई देशो में बौद्ध धम्म का प्रचार-प्रसार कियाl जो आज के समय में 100 से अधिक देश बौद्ध धर्म को अपना चूके हैl कही अंशिक तो कही पूर्ण रूप से। मौर्य वंश के अंतिम बौद्ध राजा बृहदस्थ ने गलती कीl उसने सेनापति के रूप में ब्राम्हण पुष्यमित्र शुंग को घोषित किया। शुंग ने सभी ब्राम्हणो को सेना में भर्ती कर दिया और सेना के सामने अंतिम बौद्ध राजा बृहदस्थ की हत्या कर दीl और 84000 स्तूप तोड़ दिए गए। पुष्यमित्र शुंग का शासनकाल 32 वर्ष (184 ईसा पूर्व -148 ईसा पूर्व)है। लाखो बौद्धो को काट दिया गया ।एक बौद्ध सिर काटकर लाने का इनाम 100 नग सोने के सिक्के रखा गया। भारत की धरती खून से रक्त-रंजित हो गयी। बहुतो ने दुसरे देश जाकर अपनी जान बचायी। सारे बौद्ध ग्रंथ घर से खोज-खोज कर जला दिए गए। इसप्रकार जिस देश में बौद्ध धम्म ने जन्म लिया उस देश से गायब हो गया। आज भारत में जो भी बौद्ध ग्रंथ, त्रिपिटक लाये गए वो सब अन्य देशो से लाये गए है। बादमें पुष्यमित्र शुंग ने मनुस्मृति लिखीl जिसमें शुद्रो के सारे मानवीय अधिकार छीन लिए गए। रामायण, महाभारत को फिर से नए ढंग से नमक मिर्ची लगाकर लिखा गया। तब से 2000 साल तक शुद्र (SC/ST/OBC) को शिक्षा और धन का अधिकार नहीं मिला थाl इस बीच अनेको संत कबीर,गुरुनानक,रविदास,गुरु घासीदास ,और अनेक महापुरुष हुएl जिन्होंने भक्ति मार्ग से लोगों को सत्य का अहसास करायाl लेकिन नैतिक शक्ति-शिक्षा ,राजनितिक शक्ति - वोट देने के अधिकार ,सैनिक व शारीरिक शक्ति-कुपोषण के कारण क्षीण हो गया थाl ब्राम्हण, पेशवाई में अचूतो की स्थिति अति दयनीय हो गयी थीl इस समय अचूतो को गले में हांड़ी और कमर में झाड़ू बांधकर चलना पडता थाl यह 12 वर्षो तक चलाl 1जनवरी 1818 को 500 महार सैनिकों ने 28000 पेशवाई लगभग युद्ध करके ख़त्म कर दीl जिसमें 22 महार सैनिक शहीद हुए थेl मुग़ल राजाओ ने भी ब्राम्हणों से साठ-गाठ कर भारत को गुलाम बनाया और ब्राम्हणों के मर्जी से शुद्र को शिक्षा नहीं दीl लेकिन जहांगीर के शासन काल में थाॅमस मुनरो आये थेl यहाँ की अजीब स्थिति देखकर वह दंग रह गए ,उसी के बाद   डच,पोर्तूगाली,फ़्रांसिसी,अंग्रेज आये और कंपनी स्थापित कर भारत को गुलाम बनायाl थाॅमस मुनरो ने सबको शिक्षा देना शुरू कियाl जिसमें पहले व्यक्ति महात्मा ज्योतिबा फुले ने शिक्षा पायीl जो की माली जाति के अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैl शिक्षा पाने के बाद उन्होने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को भी पढायाl इसप्रकार सावित्रीबाई फुले सवर्ण महिला ,शुद्र महिला ,अतिशुद्र महिला में शिक्षा पानेवाली पहली महिला बनीl ये आर्य सवर्ण लोग अपनी पत्नी को भी शिक्षा नहीं देते, क्योंकी उनकी पत्नी भी द्रविड महिला ही है। इसलिए कहा गया है ढोल ग्वार शुद्र , पशु , नारी ये सब है ताडन के अधिकारीl शुद्रो को शिक्षा 19वी सदी में 1840 के आसपास ही मिलना शुरू हुआl सारी क्रांति शुद्रोने(द्रविड) ब्रिटिश शासनकाल में ही कीl रामास्वामी पेरियार , डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर के जीवनकाल में कितनी छुवाछुत थीl किसी से छुपा नहीं है। डाॅ.आंबेडकर अछूत समाज में पहले व्यक्ति है, जिन्होंने पहली बार मेट्रिक पास कियाl ग्रेजुएशन किया ,M.A. किया।देश-विदेश से अनगिणत डिग्रीयाँ हासिल कीl
डाॅ.आंबेडकर साहब जैसे संघर्ष आज तक किसी ने नहीं किया। अछूत कहे जाने वाले अस्पृश्य समाज को तालाब का पानी पीने का ,मंदिर में प्रवेश का अधिकार नहीं थाl चवदार तालाब का पानी पीने का सामूहिक प्रयास डाॅ.आंबेडकरने पहली बार कियाl जिसमें अछूतो के संग बहुत मारपीट की गयीl करीब 20अछूत इस हमले में जख्मी हो गए थेl फिर कालाराम मंदिर में प्रवेश किये। बाबा साहब ने कई सभाए ली,कई समितियों का निर्माण किया ।
25दिसंबर 1927 को  मनुस्मृति का दहन किया गयाl यही वह ग्रंथ है, जिसमें शुद्रो को नरक सा जीवन जीने के लिए तानाशाही आदेश जारी किये गए। 
देश स्वतंत्र होनेवाला थाl समय बाबासाहब से बड़ा कोई विद्वान ही नहीं थाl इसकारण संविधान लिखने का अवसर बाबा साहेब को मिलाl आज अचूतो को ,शुद्रो को ,महिलाओं को जो भी अधिकार मिले है, चाहे कोई भी फील्ड हो सब बाबासाहब के अथक प्रयास से संभव हुआ है। इसे SC/ ST/OBC/मायनॅरिटी माने या न माने ये उनके ऊपर निर्भर है। अनुसूचित जाति कल्याण आयोग, अनुसूचित जनजाति कल्याण आयोग, अन्य पिछड़ा कल्याण आयोग, धार्मिक अल्प संख्यक कल्याण आयोग (SC/ST/OBC/Minirity) के लिए बनाया गया है। आपको संविधान में सवर्ण कल्याण आयोग कही नहीं मिलेगा। क्यों ? जरा सोचे यह संविधान भारत के मूलनिवासी (द्रविड) के हित व उनका सम्पूर्ण विकास के लिए बनाया गया है। हर जरुरी अधिकार सविधान में डाले गए है। लेकिन अफ़सोस की मूलनिवासीयों (द्रविड़) ने आज तक संविधान को खोलकर देखा ही नहीं और सवर्ण के साथ ही संविधान को बिना पढ़े  घटिया और बदलने की बात करता हैl वही अन्य देश के राष्ट्रपति,PM ,कानून के जानकार इसे दुनिया की सबसे महान संविधान कहता हैl
बाबसाहेबने संविधान लिखकर मूलनिवासी (द्रविड) को आधी आजादी  दी गयी है और आधी आजादी जिस दिन हमारे द्रविड भाई एक हो जायेंगे उस दिन सम्पूर्ण आजादी मिलेगी।आज व्यापार में 95%, शिक्षा में 75%, नौकरी में 75% ,जमीन में 90% इन आर्यों का ही कब्ज़ा है। भाईयों जरा गौर करो  SC/ST/OBC/Minirity के लोग कितने %  व्यापार में हाथ-पाव जमाये हो? 85% मूलनिवासी (द्रविड) सिर्फ ग्राहक बने हो, दुकानदार तो मुख्य रूप से सवर्ण ही है। बड़े-बड़े उद्योग ,कंपनी, बड़ी-बड़ी दुकाने हर प्रकार का दुकाने कौन चला रहा हैl गौर करोगे तो सब समझ आ जायेगाl लेकिन दुःख की बात है कि, हमारे भाई दूर की सोच रखते ही नहींl आज सिख, बौद्ध भी द्रविड हैl इसाई,मुस्लिम भी द्रविड हैl मुग़लकाल में हमारे ही द्रविड भाईयो ने हिंदू धर्म की हीनता देख कर मूस्लिम धर्म को अपनायाl अंग्रेजो के शासनकाल में हमारे द्रविड भाईयों ने ही इसाई धर्म को अपनाया। और सिखों ने अपना अलग सा धर्म बनाया।      इसकारण सवर्ण लोग कभी सिख दंगा, कभी इसाई दंगा, कभी मुस्लिम दंगा, कभी बौद्ध पर हमला करता रहता हैl ये सब इनकी सोची-समझी साजिश होती है।
             '''67 साल के बाद आज जैसे ही बीजेपी सत्ता में बहुमत से आई है। गौर कीजिये क्या हो रहा हैl धर्म-धर्म रट रही हैl भारत को हिंदुस्तान करना चाहते है। सिख हिन्दू थे, घर वापसी करो ऐशी बाते करते हैl इनके मंत्री बोल रहे है साध्वी, नाथूराम गोडसे देशभक्त हैl जो आपके राष्ट्रपिता को तीन गोली ठोकता है। 4-5 बच्चे पैदा करो एक इनको दो, एक बोर्डर को दो, बाकी अपने पास रखोl कितना सम्मान करते है महिलाओं का सोचो।               
              2021तक सबको हिन्दू बनाने की धमकी दिये जा रहे हैl तो अल्पसंख्यक कहा जायेंगे। इसीकारण ही बाबासाहब ने अल्पसंख्यक को कुछ विशेष अधिकार दिए थेl ताकि बहुसंख्यक इनपर हावी न हो सके। गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करना चाहते हैl क्योंकि पुन: युद्ध करा सके। इतने सारे बेतूके बयान दे रहे है और मोदी चुप है क्यों?
           द्रविड भाइयो अब एक हो जाओlयह समय खतरे से भरा हैl अगर टूट कर रहोगे तो फिर याद रखना इतने दिनो तक ब्राम्हणवाद ने मारा अब पूँजीवाद मारेगा और वर्ग संघर्ष की स्थिति निर्मित होगीl शिक्षा का भगवाकरण करके आपके दिमाग को मार रहे है। सरकारी सेक्टर में निजीकरण ,FDI ,PPP, ठेकेदारी करके आपके आरक्षण को मार दिया जा रहा हैl आपकी अगली पीढ़ी दाने-दाने के लिए मोहताज हो जायेगी।

जागो बहुजनो