बुधवार, 22 मार्च 2017

विद्युत विभाग( कविता)

बड़ी मेहनत के बाद मैंने *विद्युत विभाग * की नौकरी पायी है, विद्युत विभाग में आया तो जाना, यहाँ एक तरफ कुआँ तो दूसरी तरफ खाई है।

जहाँ कदम कदम पर ज़ि ल्लत, और घड़ी घड़ी पर ताने हैं,

यहाँ मुझे अपनी ज़िन्दगी के कई साल बिताने हैं।

अपनी गलती ना हो लेकिन क्षमा याचना हेतु हाथ फैलाने हैं.

फ़िर भी बात-बात पे चार्जशीट और पनिसमेन्ट ही पाने हैं.

जानता हूँ ये 'अग्निपथ' है, फिर भी मैं चलने वाला हूँ,

क्योंकि मैं विद्युत विभाग का कर्मचारी हूँ।

जहाँ एक तरफ मुझे प्रशासन की, और दूसरी तरफ पब्लिक की भी सुननी है,

यानी मुझे दो में से एक नहीं, बल्कि दोनों राह चुननी हैं।

ड्यूटी अगर लेट हुयी तो अधिकारी चिल्लाते हैं.

गलती चाहे किसी भी की भी हो सजा तो हम ही पाते हैं.

दो नावों पे सवार हूँ फिर भी सफ़र पूरा करने वाला हूँ,

क्योंकि मैं विद्युत विभाग  का कर्मचारी हूँ।

आसान नहीं है सबको एक साथ खुश रख पाना,

परिवार के साथ वक़्त बिताना, और _विद्युत विभागमें jobबचाना।

परिवार के साथ बमुश्किल कुछ वक़्त ही बिता पाता हूँ,

घर जैसे कोई मुसाफिर खाना हो, वहां तो बस आता और जाता हूँ।

फिर भी हर मोड़ पर मैं अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करने वाला हूँ,

क्योंकि मैं विद्युत विभाग  का कर्मचारी हूँ

सेवंथ कमीशन की बात पर, हमें सालो लटकाया जाता है,

हक़ की बात करने पर ठेंगा दिखलाया जाता है।

ये एक लड़ाई है, इसमें सबको साथ लेकर चलने वाला हूँ,

क्योंकि मैं विद्युत विभाग  का कर्मचारी  हूँ।

 देश के कोने कोने से आये लोगों ने, जहाँ विद्युत विभाग  कर्मचारी को अपना दुश्मन समझ लिया,

छुट्टी मिली ना घर जा सके, Duty में ही ईद-दिवाली-क्रिसमस मना लिया,

टिफ़िन से टिफ़िन जब मिलते हैं, तो एक नया ही ज़ायका बन जाता है,

खुद के बनाये खाने में, और घर के खाने में फ़र्क़ साफ़ नज़र आता है।

मजबूरी ने इतना कुछ सिखाया, आगे भी बहुत कुछ सीखने वाला हूँ,

क्योंकि मैं विद्युत विभाग  का कर्मचारी हूँ
 लोग समझते है कि बड़ा मजा करते है, विद्युत विभाग की नौकरी में

 अब उन्हें कौन समझाए , विद्युत विभाग  के  कर्मचारी के लिए सरकार के पास सिर्फ वादे है,

पब्लिक चाहे मनमानी करे, स्टाफ के लिए बड़े सख्त कायदे हैं।

सबको मैं बदल नहीं सकता, इसलिए अब ख़ुद को बदलने वाला हूँ,

क्योंकि मैं विद्युत विभाग  का कर्मचारी हूँ।

                                                               ये कविता मेरे समस्त विद्युत विभाग कर्मियो को समर्पित है।

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