शनिवार, 13 मई 2017

राष्ट्रीय युवा मोर्चा


एक बार पूना में ज्योतिराव फुले के एक अनुयायी ने अपने परिवार की शादी ब्राह्मण पुरोहित से न कराकर सत्य शोधक समाज की परम्परानुसार किसी अब्राह्मण द्वारा शादी करा दी, इस पर ब्राह्मणों ने नाराज होकर मुकदमा जिला अदालत में कर दिया। जिला अदालत का जज ब्राह्मण ही था, अदालत का फैसला आया कि हिंदू धर्म के अनुसार शादी वही मान्य है जो शादी ब्राह्मण द्वारा करायी जाय तथा ब्राह्मण को विधिवत दक्षिणा दी जाय। सत्य शोधक समाज के कार्यकर्ता ने बाम्बे हाईकोर्ट में अपील कर दी। हाईकोर्ट में महादेव गोविन्द रानाडे जज थे उन्होने मुकदमे की सुनवाई करते हुए फैसला दिया कि हिंदू रीति रिवाज के अनुसार शादी ब्राह्मण पुरोहित द्वारा ही करायी जाय, यदि शादी ब्राह्मण पुरोहित से न करायी जाय तो दक्षिणा ब्राह्मण पुरोहित को भिजवा दी जाय।
उस समय बम्बई विधानसभा में एक पंराजपे नामक ब्राह्मण विधायक ने विधान सभा में प्रस्ताव रखा कि हाईकोर्ट का निर्णय आ चुका है हिंदूधर्म के अनुसार वही शादी मान्य है जो ब्राह्मण पुरोहित द्वारा करायी जाय, यदि ब्राह्मण पुरोहित द्वारा शादी न करायी जाय तो दक्षिणा अवश्य ही ब्राह्मण पुरोहित को भेज दी जाय। उस विधानसभा में सी.के.बोले नामक विधायक ज्योतिराव फुले के अनुयायी थे। इस प्रस्ताव पर कई दिन बहस चलीं। सी.के.बोले (सीताराम केशव बोले) ने प्रस्ताव पर बोलते हुए विधानसभा अध्यक्ष से कहा "मान्यवर मै सम्मानीय विधायक पंडित पंराजपे महोदय से प्रश्न पूंछना चाहता हूँ कि पंराजपे महोदय अपनी दाढ़ी किससे बनवाते हैं ? प्रश्न को सुनकर पंराजपे बिगड गये। पंराजपे ने अध्यक्ष महोदय से कहा कि मान्यवर, इस प्रश्न का मूल प्रस्ताव से कोई सम्वन्ध नहीं है इसलिए मैं कोई जवाब नही देना चाहता। सी.के.बोले ने अध्यक्ष महोदय से कहा "महोदय इस प्रश्न का बहुत ही गहरा संबंध मूल प्रस्ताव से है। माननीय विधायक को प्रश्न का जवाब देने में समस्या क्या आ रही है ? अध्यक्ष महोदय ने पंराजपे से कहा "चलो मैं मानता हूँ इस प्रश्न का संबंध मूल प्रस्ताव से नही है फिर भी आपको जबाव देने में दिक्कत क्या है ? पंराजपे महोदय ने जबाव मे कहा कि मैं अपनी दाढ़ी स्वयं बनाता हूँ। सी.के. महोदय ने कहा "मान्यवर अध्यक्ष महोदय, हिंदू धर्म के अनुसार दाढ़ी बनाने का काम नाई जाति के लोगों का है पंराजपे महोदय अपनी दाढी खुद बना लेतें हैं किन्तु क्या दाढी बनाने का पैसा नाई के पास भेजते हैं ? सी.के.बोले का प्रश्न सुनते ही पंराजपे महोदय ने जवाब दिया कि जब नाई काम ही नही करता है तो पैसा किस बात का ? No Work No Pay. जब काम नहीं तो वेतन भी नही। सी.के.बोले ने कहा जो बात नाई पर लागू होती है वही बात ब्राह्मण पुरोहित पर लागू होती है। जब कोई ब्राह्मण से शादी करायेगा ही नही तो दक्षिणा किस बात की ब्राह्मण के घर भिजवायी जाय। "No Work No Pay." का सिद्धांत यहाँ पर भी लागू होता है। पंडित परांजपे महोदय को निरुत्तर होना पड़ा।
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