बुधवार, 8 मार्च 2017

माफ

दर्जनों ऐसे कवि देखने हैं जो कहते हैं बस कहते हैं होता है
 सुकून जिंदगी में अक्सर पर नफरतों के बयान देते है 
यह कोई और नहीं हमारे देश के नेता हैं जो बस कहते हैं कहते हैं कहते हैं
 होना है जो होकर रहता है
 बयानों से देश का क्या भला होता है 
हम तो वह भेड़ की तरह है जिसका कंबल हमको भी उड़ना है
 क्योंकि देश को ऐसे चलना है
बिजली का बिल 
 किसानों का पैसा माफ
 कर माफ
 एक दिन ऐसा समय आएंगे
 तुम्हारी जिंदगी मैं तूफान लाएगा माफ माफ करने वालों माफ ही तुम्हें रुलाएगा सत्ता मिलने के बाद 
 बोल नेता ही तुम पर कर लगाएगा 

एक तनख्वाह से कितनी बार  कर दूं और क्यों...जबाब है???
मैनें तीस दिन काम किया, 
तनख्वाह ली - कर दिया
मोबाइल खरीदा - कर दिया--'
रिचार्ज किया - कर दिया
डेटा लिया - कर दिया
बिजली ली - कर दिया
घर लिया -  कर दिया
TV फ्रीज़ आदि लिये -  कर दिया
कार ली -  कर दिया
पेट्रोल लिया - कर दिया
सर्विस करवाई -  कर दिया
रोड पर चला - कर दिया
टोल पर फिर -  कर दिया
लाइसेंस बनाया -  कर दिया
गलती की तो - कर दिया
रेस्तरां मे खाया -  कर दिया
पार्किंग का - कर दिया
पानी लिया - कर दिया
राशन खरीदा - कर दिया
कपड़े खरीदे -  कर दिया
जूते खरीदे - कर दिया
कितबें ली - कर दिया
टॉयलेट गया - कर दिया
दवाई ली तो -  कर दिया
गैस ली - कर दिया
सैकड़ों और चीजें ली ओर -  कर दिया, कहीं फ़ीस दी, कहीं बिल, कहीं ब्याज दिया, कहीं जुर्माने के नाम पर तो कहीं रिश्वत के नाम पर पैसा देने पड़े, ये सब ड्रामे के बाद गलती से सेविंग मे बचा तो फिर  कर दिया----
सारी उम्र काम करने के बाद कोई सोशल सेक्युरिटी नहीं, कोई पेंशन नही, कोई मेडिकल सुविधा नहीं, बच्चों के लिये अच्छे स्कूल नहीं, पब्लिक ट्रांस्पोर्ट नहीं, सड़कें खराब, स्ट्रीट लाईट खराब, हवा खराब, पानी खराब, फल सब्जी जहरीली, हॉस्पिटल महंगे, हर साल महंगाई की मार, आकस्मिक खर्चे व् आपदाएं , उसके बाद हर जगह लाइनें।।।।
सारा पैसा गया कहाँ????
करप्शन में , 
इलेक्शन में ,
अमीरों की सब्सिड़ी में ,
माल्या जैसो के भागने में
अमीरों के फर्जी दिवालिया होने में ,
स्विस बैंकों में ,
नेताओं के बंगले और कारों मे,    
अब किस को बोलूं कौन चोर है???
आखिर कब तक हमारे देशवासी यूंही घिसटती जिन्दगी जीते रहेंगे?????

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें