रविवार, 7 मई 2017

मेरा एक बचपन

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जब  बचपन  था,  तो  जवानी  एक  ड्रीम  था...
जब  जवान  हुए,  तो  बचपन  एक  ज़माना  था... !! __________
जब  घर  में  रहते  थे,  आज़ादी  अच्छी  लगती  थी...
आज  आज़ादी  है,  फिर  भी  घर  जाने  की  जल्दी  रहती  है... !!
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कभी  होटल  में  जाना  पिज़्ज़ा,  बर्गर  खाना  पसंद  था...
आज  घर  पर  आना  और  माँ  के  हाथ  का  खाना  पसंद  है... !!!
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स्कूल  में  जिनके  साथ  ज़गड़ते  थे,
आज उनको  ही  इंटरनेट  पे  तलाशते  है... !!
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ख़ुशी  किसमे  होतीं है,  ये  पता  अब  चला  है...
बचपन  क्या  था,  इसका  एहसास  अब  हुआ  है...
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काश  बदल  सकते  हम  ज़िंदगी  के  कुछ  साल..
.काश  जी  सकते  हम,  ज़िंदगी  फिर  एक बार...!!
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 जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने अपने हाथ जादू से हाथ गायब कर दिए

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जब हमारे पास चार रंगों से लिखने वाली एक पेन हुआ करती थी और हम सभी के बटन को एक साथ दबाने की कोशिश किया करते थे
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 जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके..👥
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जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते
थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के बिस्तर तक पहुचा दे |
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सोचा करते थे की ये चाँद हमारी साइकिल के पीछे पीछे क्यों चल रहा हैं |🌙🚲
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On/Off वाले स्विच को बीच में
अटकाने की कोशिश किया करते थे |
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 फल के बीज को इस डर से नहीं खाते थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए |
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बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे
ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले |
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फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जानने की कोशिश करते थे की इसकी लाइट कब बंद होती हैं |
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 सच , बचपन में सोचते हम बड़े
क्यों नहीं हो रहे ?


और अब सोचते हम बड़े क्यों हो गए ?
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ये दौलत भी ले लो.. ये शोहरत भी ले लो

भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...

मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन

वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी

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