बुधवार, 24 मई 2017

: बेचारा आदमी:

यह नदियों का मुल्क है,
पानी भी भरपूर है।
बोतल में बिकता है,
पन्द्रह रू शुल्क है।
:
यह गरीबों का मुल्क है,
जनसंख्या भी भरपूर है।
परिवार नियोजन मानते नहीं,
नसबन्दी नि:शुल्क है।
:
यह अजीब मुल्क है,
निर्बलों पर हर शुल्क है।
अगर आप हों बाहुबली,
हर सुविधा नि:शुल्क है।
:
यह अपना ही मुल्क है,
कर कुछ सकते नहीं।
कह कुछ सकते नहीं,
बोलना नि:शुल्क है।
:
यह शादियों का मुल्क है,
दान दहेज भी खूब हैं।
शादी करने को पैसा नहीं,
कोर्ट मैरिज नि:शुल्क हैं।
:
यह पर्यटन का मुल्क है,
रेलें भी खूब हैं।
बिना टिकट पकड़े गए तो,
रोटी कपड़ा नि:शुल्क है।
:
यह अजीब मुल्क है,
हर जरूरत पर शुल्क है।
ढूंढ कर देते हैं लोग,
सलाह नि:शुल्क है।
:
यह आवाम का मुल्क है,
रहकर चुनने का हक है।
वोट देने जाते नहीं,
मतदान नि:शुल्क है।

यह शिक्षकों का मुल्क है,
पाठशालाएं भी खूब है,
शिक्षकों को वेतनमान देने के पैसे नहीं,
पढ़ना,खाना,पोशाक निःशुल्क है।

: बेचारा आदमी:
जब सर के बाल न आये तो दवाई ढूँढता है..,
जब आ जाते है तो नाई ढूँढता है..,
जब सफ़ेद हो जाते है तो डाई ढूँढता है...!
और जब काले रहते हैं तो लुगाई ढूँढता है

जीना इसी का नाम है..?

शमशान मे एक समाधी पर अपना बस्ता फेक एक बच्चा समाधी के पास बैठ कर शिकायत करने लगा। उठो ना पापा, टीचर ने कहा है कि फ़ीस लेकर आना नही तो अपने पापा को लेकर आना !!
ये सुनकर बराबर की समाधी पर, एक आदमी फ़ोन पर किसी फूलवाले से हज़ारो रुपयों की फूलों की चादर लेने के लिए बात करते-करते कुछ सोचकर फ़ोन पर बोला कि ऑर्डर कैंसल कर दो; नही चाहिए भाई। फूल इधर ही मिल गए है।
##जीना इसी# का नाम है..?.....

बचपन मे 1 रु. की पतंग के पीछे

  : बचपन मे 1 रु. की पतंग के पीछे 
२ की.मी. तक भागते थे...
न जाने कीतने चोटे लगती थी...

वो पतंग भी हमे बहोत दौड़ाती थी...

आज पता चलता है, 
दरअसल वो पतंग नहीं थी; 
एक चेलेंज थी...

खुशीओं को हांसिल करने के लिए दौड़ना पड़ता है...
वो दुकानो पे नहीं मिलती...

शायद यही जिंदगी की दौड़ है ...!!

 जब  बचपन  था,  तो  जवानी  एक  ड्रीम  था... 
जब  जवान  हुए,  तो  बचपन  एक  ज़माना  था... !!

जब  घर  में  रहते  थे,  आज़ादी  अच्छी  लगती  थी...

आज  आज़ादी  है,  फिर  भी  घर  जाने  की   जल्दी  रहती  है... !!

कभी  होटल  में  जाना  पिज़्ज़ा,  बर्गर  खाना  पसंद  था...

 आज  घर  पर  आना  और  माँ  के  हाथ  का  खाना  पसंद  है... !!!

स्कूल  में  जिनके  साथ  ज़गड़ते  थे,  आज  उनको  ही  इंटरनेट  पे  तलाशते  है... !!

ख़ुशी  किसमे  होतीं है,  ये  पता  अब  चला  है... 
बचपन  क्या  था,  इसका  एहसास  अब  हुआ  है... 

काश  बदल  सकते  हम  ज़िंदगी  के  कुछ  साल..

.काश  जी  सकते  हम,  ज़िंदगी  फिर  एक  बार...!!

 जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे
और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने
अपने हाथ जादू से हाथ गायब कर दिए


जब हमारे पास चार रंगों से लिखने
वाली एक पेन हुआ करती थी और हम
सभी के बटन को एक साथ दबाने
की कोशिश किया करते थे |

 जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे
ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके..

जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते
थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के बिस्तर तक पहुचा दे |

सोचा करते थे की ये चाँद
हमारी साइकिल के पीछे पीछे
क्यों चल रहा हैं |

On/Off वाले स्विच को बीच में
अटकाने की कोशिश किया करते थे |

 फल के बीज को इस डर से नहीं खाते
थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए |

 बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे
ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले |

फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जानने
की कोशिश करते थे की इसकी लाइट
कब बंद होती हैं |

  सच , बचपन में सोचते हम बड़े
क्यों नहीं हो रहे ?

और अब सोचते हम बड़े क्यों हो गए ?

ये दौलत भी ले लो..ये शोहरत भी ले लो

भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...

मगर मुझको लौटा दो बचपन
का सावन .
वो कागज़
की कश्ती वो बारिश का पानी..
Bachpan ki storyes 

Old hits
  

बचपन कि ये लाइन्स .
जिन्हे हम दिल से गाते
गुनगुनाते थे ..
और खेल खेलते थे ..!!
तो याद ताज़ा कर लीजिये ...!!

▶  मछली जल की रानी है,
       जीवन उसका पानी है।
       हाथ लगाओ डर जायेगी
       बाहर निकालो मर जायेगी।

*****

▶  आलू-कचालू बेटा कहाँ गये थे,
       बन्दर की झोपडी मे सो रहे थे।
       बन्दर ने लात मारी रो रहे थे,
       मम्मी ने पैसे दिये हंस रहे थे।

****

▶  आज सोमवार है,
       चूहे को बुखार है।
       चूहा गया डाक्टर के पास,
       डाक्टर ने लगायी सुई,
       चूहा बोला उईईईईई।

****

▶  झूठ बोलना पाप है,
       नदी किनारे सांप है।
       काली माई आयेगी,
       तुमको उठा ले जायेगी।

****

▶  चन्दा मामा दूर के,
       पूए पकाये भूर के।
       आप खाएं थाली मे,
       मुन्ने को दे प्याली में।

****

▶  तितली उड़ी,
       बस मे चढी।
       सीट ना मिली,
       तो रोने लगी।
       ड्राईवर बोला, 
       आजा मेरे पास,
       तितली बोली ” हट बदमाश “।

****

▶  मोटू सेठ,
       पलंग पर लेट ,
       गाडी आई,
       फट गया पेट

ज़िन्दगी के पाँच सच ~


एक दिन चिड़िया बोली - मुझे छोड़ कर कभी उड़ तो नहीं जाओगे

चिड़ा ने कहा - उड़
जाऊं तो तुम पकड़ लेना.

चिड़िया-मैं तुम्हें पकड़
तो सकती हूँ,
पर फिर पा तो नहीं सकती.

यह सुन चिड़े की आँखों में आंसू आ गए और उसने अपने पंख तोड़ दिए और बोला अब हम
हमेशा साथ रहेंगे,

लेकिन एक दिन जोर से तूफान आया,
चिड़िया उड़ने लगी तभी चिड़ा बोला तुम उड़
जाओ मैं नहीं उड़ सकता..

चिड़िया- अच्छा अपना ख्याल रखना, कहकर
उड़ गई !

जब तूफान थमा और चिड़िया वापस
आई तो उसने देखा की चिड़ा मर चुका था
और एक डाली पर लिखा था...

काश तुम एक बार तो कहती कि मैं तुम्हें नहीं छोड़ सकती"
तो शायद मैं तूफ़ान आने से
पहले नहीं मरता
"
ज़िन्दगी के पाँच सच ~
सच नं. 1 -:
माँ के सिवा कोई वफादार नही हो सकता…!!
────────────────────────
सच नं. 2 -:
गरीब का कोई दोस्त नही हो सकता…!!
────────────────────────
सच नं. 3 -:
आज भी लोग अच्छी सोच को नही,
अच्छी सूरत को तरजीह देते हैं…!!
────────────────────────
सच नं. 4 -:
इज्जत सिर्फ पैसे की है, इंसान की नही…!!
────────────────────────
सच न. 5 -:
जिस शख्स को अपना खास समझो….
अधिकतर वही शख्स दुख दर्द देता है

 गीता में लिखा है कि.

अगर कोई इन्सान
बहुत हंसता है , तो अंदर से वो बहुत अकेला है

अगर कोई इन्सान बहुत सोता है , तो अंदर से
वो बहुत उदास है

अगर कोई इन्सान खुद को बहुत मजबूत दिखाता है और रोता नही , तो वो
अंदर से बहुत कमजोर है

अगर कोई जरा जरा सी
बात पर रो देता है तो वो बहुत मासूम और नाजुक दिल का है

अगर कोई हर बात पर
नाराज़ हो जाता है तो वो अंदर से बहुत अकेला
और जिन्दगी में प्यार की कमी महसूस करता है

लोगों को समझने की कोशिश कीजिये ,जिन्दगी किसी का इंतज़ार नही करती ,
लोगों को एहसास कराइए की वो आप के लिए कितने खास है सर.

1. अगर जींदगी मे कुछ पाना हो तो, तरीके बदलो., ईरादे नही.

2. जब सड़क पर बारात नाच रही हो तो हॉर्न मार-मार के परेशान ना हो.. गाडी से उतरकर थोड़ा नाच लें.मन शान्त होगा।
टाइम तो उतना लगना ही है.

3. इस कलयुग में रूपया चाहे कितना भी गिर जाए, इतना कभी नहीं गिर पायेगा, जितना रूपये के लिए इंसान गिर चूका है.

सत्य वचन

4. रास्ते में अगर मंदिर देखो तो, प्रार्थना नहीं करो तो चलेगा . पर रास्ते में एम्बुलेंस मिले तब प्रार्थना जरूर करना, शायद कोई
जिन्दगी बच जाये.

5. जिसके पास उम्मीद हैं, वो लाख बार हार के भी, नही हार सकता.

6. बादाम खाने से उतनी अक्ल नहीं आती.
जितनी धोखा खाने से आती

7. एक बहुत अच्छी बात जो जिन्दगी भर याद रखिये आप का खुश रहना ही आप का बुरा चाहने वालों के लिए सबसे बड़ी सजा है.

8. खुबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते, अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत नहीं होते.

9. रिश्ते और रास्ते एक ही सिक्के के दो पहलु हैं.कभी रिश्ते निभाते निभाते रास्ते खो जाते हैं, और कभी रास्तो पर चलते चलते रिश्ते बन जाते हैं..

10. बेहतरीन इंसान अपनी मीठी जुबान से ही जाना जाता है,वरना अच्छी बातें तो दीवारों पर भी लिखी होती है.

11. दुनिया में कोई काम "impossible" नहीं, बस होसला और मेहनत की जरूरत है.

12 .प्यार, जीन्दगी मे उससे करो जौ आपसे प्यार करता हौ,ना की उससे जीससे आप.
 अपने

VERY NICE LINE JARUR PADHE


एक दिन चिड़िया बोली - मुझे छोड़ कर कभी उड़ तो नहीं जाओगे❣

चिड़ा ने कहा - उड़
जाऊं तो तुम पकड़ लेना.

चिड़िया-मैं तुम्हें पकड़
तो सकती हूँ,
पर फिर पा तो नहीं सकती.

यह सुन चिड़े की आँखों में आंसू आ गए और उसने अपने पंख तोड़ दिए और बोला अब हम
हमेशा साथ रहेंगे,

लेकिन एक दिन जोर से तूफान आया,
चिड़िया उड़ने लगी तभी चिड़ा बोला तुम उड़
जाओ मैं नहीं उड़ सकता..

चिड़िया- अच्छा अपना ख्याल रखना, कहकर
उड़ गई !

जब तूफान थमा और चिड़िया वापस
आई तो उसने देखा की चिड़ा मर चुका था
और एक डाली पर लिखा था...

काश तुम एक बार तो कहती कि मैं तुम्हें नहीं छोड़ सकती"
तो शायद मैं तूफ़ान आने से
पहले नहीं मरता
"
ज़िन्दगी के पाँच सच ~
सच नं. 1 -:
माँ के सिवा कोई वफादार नही हो सकता…!!
────────────────────────
सच नं. 2 -:
गरीब का कोई दोस्त नही हो सकता…!!
────────────────────────
सच नं. 3 -:
आज भी लोग अच्छी सोच को नही,
अच्छी सूरत को तरजीह देते हैं…!!
────────────────────────
सच नं. 4 -:
इज्जत सिर्फ पैसे की है, इंसान की नही…!!
────────────────────────
सच न. 5 -:
जिस शख्स को अपना खास समझो….
अधिकतर वही शख्स दुख दर्द देता है

 गीता में लिखा है कि.

अगर कोई इन्सान
बहुत हंसता है , तो अंदर से वो बहुत अकेला है

अगर कोई इन्सान बहुत सोता है , तो अंदर से
वो बहुत उदास है

अगर कोई इन्सान खुद को बहुत मजबूत दिखाता है और रोता नही , तो वो
अंदर से बहुत कमजोर है

अगर कोई जरा जरा सी
बात पर रो देता है तो वो बहुत मासूम और नाजुक दिल का है

अगर कोई हर बात पर
नाराज़ हो जाता है तो वो अंदर से बहुत अकेला
और जिन्दगी में प्यार की कमी महसूस करता है

लोगों को समझने की कोशिश कीजिये ,जिन्दगी किसी का इंतज़ार नही करती ,
लोगों को एहसास कराइए की वो आप के लिए कितने खास है सर.

1. अगर जींदगी मे कुछ पाना हो तो, तरीके बदलो., ईरादे नही.

2. जब सड़क पर बारात नाच रही हो तो हॉर्न मार-मार के परेशान ना हो.. गाडी से उतरकर थोड़ा नाच लें.मन शान्त होगा।
टाइम तो उतना लगना ही है.

3. इस कलयुग में रूपया चाहे कितना भी गिर जाए, इतना कभी नहीं गिर पायेगा, जितना रूपये के लिए इंसान गिर चूका है.

सत्य वचन

4. रास्ते में अगर मंदिर देखो तो, प्रार्थना नहीं करो तो चलेगा . पर रास्ते में एम्बुलेंस मिले तब प्रार्थना जरूर करना, शायद कोई
जिन्दगी बच जाये.

5. जिसके पास उम्मीद हैं, वो लाख बार हार के भी, नही हार सकता.

6. बादाम खाने से उतनी अक्ल नहीं आती.
जितनी धोखा खाने से आती

7. एक बहुत अच्छी बात जो जिन्दगी भर याद रखिये आप का खुश रहना ही आप का बुरा चाहने वालों के लिए सबसे बड़ी सजा है.

8. खुबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते, अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत नहीं होते.

9. रिश्ते और रास्ते एक ही सिक्के के दो पहलु हैं.कभी रिश्ते निभाते निभाते रास्ते खो जाते हैं, और कभी रास्तो पर चलते चलते रिश्ते बन जाते हैं..

10. बेहतरीन इंसान अपनी मीठी जुबान से ही जाना जाता है,वरना अच्छी बातें तो दीवारों पर भी लिखी होती है.

11. दुनिया में कोई काम "impossible" नहीं, बस होसला और मेहनत की जरूरत है.

12 .प्यार, जीन्दगी मे उससे करो जौ आपसे प्यार करता हौ,ना की उससे जीससे आप.

कभी नहीं, कभी नहीं !साले की बुराई,

कभी नहीं, कभी नहीं !!साले की बुराई,
शक्की को दवाई,
पत्नी को असली इन्कम बताना,
नवजात कुत्ते के बच्चे को सहलाना,
पहलवान की बहन से इश्क लड़ाना,
   कभी नहीं, कभी नहीं !!

नाई से उधारी में दाढ़ी 
या फिर सेकंड हैण्ड गाड़ी,
नॉन वेज होटल में वेजिटेरियन खाना,
बिना पानी देखे टॉयलेट में जाना,
   कभी नहीं, कभी नहीं !!

दो नंबर की कमाई रिश्तेदार के नाम रखना,
सुंदर जवान नौकरानी को काम पर रखना,
पत्नी से सुंदर पड़ोसन को बताना,
और पुलिस वाले को मकान में किराये पर रखना,
    कभी नहीं, कभी नहीं !!

बिना हाथ दिए गाड़ी मोड़ना,
सफ़र में सहयात्री के भरोसे अटैची छोड़ना,
चिपकू मेहमान को बढ़िया खाना खिलाना,
टीचर के बच्चे को ट्यूशन पढ़ाना,
    कभी नहीं, कभी नहीं !!

चोरी के डर से पड़ोसी को सुलाना,
कम उम्र की महिला को आंटी बुलाना,
लंगर की पंक्ति में आखिर में बैठना,
और पत्नी से उसके मायके में ऐंठना,
   कभी नहीं, कभी नहीं !!

शनिवार, 13 मई 2017

जरा सोचिये

जरा सोचिये कि शाम के 7:25 बजे है और आप घर जा रहे है वो भी एकदम अकेले । ऐसे में अचानक से आपके सीने में तेज दर्द होता है जो आपके हाथों से होता हुआ आपके जबड़ो तक पहुँच जाता है । आप अपने घर से सबसे नजदीक अस्पताल से 5 मील दूर हैं और दुर्भाग्यवश आपको ये नहीं समझ मे आ रहा कि आप वहां तक पहुँच पाएंगे कि नहीं । आप सी पी आर (CPR : Cardio Pulmonary Resuscitation) में प्रशिक्षित हैं मगर वहां भी आपको ये नहीं सिखाया गया कि इसको खुद पर प्रयोग कैसे करें । ऐसे में दिल के दौरे से बचने के लिए ये उपाय आजमाए :- चूँकि ज्यादातर लोग दिल के दौरे के वक्त अकेले होते हैं l बिना किसी की मदद के उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है । वे बेहोश होने लगते हैं और उनके पास very hardly सिर्फ 10 सेकण्ड्स होते है । ऐसे हालत में पीड़ित जोर जोर से खांस कर खुद को सामान्य रख सकता है । एक जोर की खांसी लेनी चाहिए हर खांसी से पहले और खांसी इतनी तेज हो कि छाती से थूक निकले । जब तक मदद न आये ये प्रक्रिया दो सेकंड से दोहराई जाए ताकि धड्कन सामान्य हो जाए । जोर की साँसे फेफड़ो में ऑक्सीजन पैदा करती हैं और जोर की खांसी की वजह से दिल सिकुड़ता है जिससे रक्त संचालन नियमित रूप से चलता है । जहाँ तक हो सके इस सन्देश को हर एक तक पहुंचाए ।

धन्यवाद

जिस दिन हमने छोड़ दिया

* जिस दिन हमने हिंदुओ की #रैलियों में जाना छोड़ दिया इनकी #राजनीतिक मौत हो जाएगी । * जिस दिन हमने इनके #मंदिरो जाना छोड़ दिया इनकी #धार्मिक मौत हो जायेगी । * जिस दिन हमने इनके #त्योहार मनाना छोड़ दिया इनकी #आर्थिक मोत हो जायेगी । * जिस दिन हमने इनके साथ व्यवहार छोड़कर मुसलमानो और सिखों से कर लिया तो इनकी #व्यवसासिक मौत हो जायेगी । * जिस दिन हमने इनको शर्मा जी, गुप्ता जी और पंडित जी कहना छोड़ दिया इनकी #सम्मानिक मौत हो जायेगी । *जिस दिन हमने इनसे #लेनदेन छोड़ दिया तो इनकी #व्यवहारिक मौत हो जायेगी । * जिस दिन हमने इनको #नीच जाति मानना शुरू कर दिया तो इनकी #सामाजिक मौत हो जायेगी ।

विज्ञान और मनोविज्ञान की नज़र से

विज्ञान और मनोविज्ञान की नज़र से क्या. आप अंधविश्वासी है? नही ना, कोई व्यक्ति अपने आप को अंधविश्वासी स्वीकार नही करना चाहता। सिर्फ झाड फूक करवाना, टोनही प्रथा ही अंधविश्वानस नही कहलाता है। हर वह विश्वास जो आंख बंद करके किया जाय। जिसका कोई वैज्ञानिक आधार न हो वह अंधविश्वास कहलाता है। गौर करे रोजमर्रा के इन खास अंधविश्वासों पर और अवगत कराये अपने सभी करीबी दोस्तो‍ और रिश्तेदारों को। 1. किसी को बांये हाथ से पैसे देना अशुभ 2. किसी व्रत-त्यौहार के खिलाफ बोलना आशुभ 3. किसी के घर में बीमार पड़ जाने पे,लाल मिर्च को आग पे जला के घर में धुवां करना 4. घर दुकान दरवाजे पे/नयी कार आदि पे निम्बू हरी मिर्च टांगना 5. भभूत खाना/खिलाना 6. बच्चों/सयानो के गले/बाजू में ताबीज पहनना 7. बिल्लीा रास्ता काटने पर अशुभ 8. चप्पल उल्टी होने पर अशुभ 9. बाहर जाते समय टोकना अशुभ 10. किसी त्योहार के दिन काले कपडे पहनना अशुभ 11. घर के निर्माण के समय उसकी नीव में ताम्बे/स्वर्ण मुद्रा डालना 12. किसी कार्य के प्रारम्भ में छींकना अशुभ 13. गुरूवार शनिवार और मंगलवार को दाड़ी/बाल कटवाना अशुभ 14. शनिवार को तेल या तेल में सिक्के का दान करना शुभ 15. बच्चों को नजर लगना 16. चोरी करके घर में बोतल में मनी प्लांट उगना अशुभ 17. पीछे से किसी को नमस्ते आदि करना अशुभ 18. पड़ोस में खाने की वस्तु किसी बर्तन में देने पर खाली बर्तन वापस करना अशुभ 19. विधवा स्त्री का किसी शुभ कार्य में शामिल होना अशुभ 20. कौवें का छत पर बैठ कर बोलना अशुभ 21. रात में कुत्ते का रोना/ अलग प्रकार से भोंकना अशुभ 22. लड़की से वंश न चलना। 23. बच्चों को परीक्षा के लिए दही शक्कर खिलाकर भेजना शुभ 24. गले या बाजु में काला धागा बाँधना। 25. बच्चे को काला टीका लगाना। 26. नदी में सिक्के फेंकना। 27. किसी दिन विशेष किसी खास दिशा की यात्रा न करना। 28. अख़बारों में राशिफल देखना उसके अनुसार कार्यक्रम बनाना। 29. रात में किसी को पैसे उधार देने या लौटाने से परहेज करना। 30. शनिवार को लोहा न खरीदना। 31. विशेष संख्या जैसे 13 को अशुभ मानना। 32. उल्लू पक्षी का दिखना अशुभ 33. छिपकली का ऊपर गिर जाना अशुभ 34. स्वप्न फल को भविष्‍वाणी की तरह विश्वास करना 35. किसी ओबीसी जैसे तेली जाति के व्यक्ति का सुबह सुबह मुह न देखना अशुभ मानना 36. एससी जाति के व्यक्ति को ग्रहण में बासी खाना दान करना 37. कुछ कहते समय बिजली बंद हो जाय तो झूठ बोल रहा है 38. कुछ कहते समय बिजली आ जाय तो सच बोल रहा है 39. धनतेरस के दिन यह सोच कर खरीददारी करना की आज धनतेरस है। 40. भविष्य वाणी पर भरोसा करना कुण्डनली ज्यो तिष आदि 41. वास्तु को मानना एवं उसके अनुसार टोटके या तोड फोड करना 42. दान कर्म से मेरा भला होगा यह सोच कर दान देना 43. मृत पूर्वज को पानी पिलाना खाना खिलाना या श्राद्ध कर्म करना 44. विवाह के लिए शुभमुहूर्त निकलवाना 45. जिसके साथ बुरा हुआ है इसका मतलब उसने पूर्व जनम में इस जन्म् में बुरा किया होगा ये मानना 46. किन्नरों की दुआ बद्दुआ पर विश्वास करना 47.जानवर का मूत्र तक पीना और इंसानो को अछूत समझना. 48.पत्थर के आगे नाक रगड़ना और इंसानो से नफरत करना . यह अंध विश्वास आपके दिमाग मे बहोत बड़ा संघर्ष खड़ा करता है, आप कंफ्यूज ही रहते हो, इसके बारेमे सोचनेमे बात या सवाल करनेमे भी डरते हो, यह कंफ्यूसन तुम्हारे सारे व्यक्तित्व को मैला कर देती है तुम सफल नही हो पाते यातो संतुष्ट नही हो पाते। जीवन मे कीसीभी आनंद का अनुभव नही कर पाते। आगे क्या करना क्या नही आप पे छोड़ता हु, मेरी बात कोभी बिना परखे जांचे, तर्क विज्ञान से टटोले अगर मान लिया तो वह भी अंधश्रद्धा ही होगी। बिना डरे सोचे विचार करे

राष्ट्रीय युवा मोर्चा


एक बार पूना में ज्योतिराव फुले के एक अनुयायी ने अपने परिवार की शादी ब्राह्मण पुरोहित से न कराकर सत्य शोधक समाज की परम्परानुसार किसी अब्राह्मण द्वारा शादी करा दी, इस पर ब्राह्मणों ने नाराज होकर मुकदमा जिला अदालत में कर दिया। जिला अदालत का जज ब्राह्मण ही था, अदालत का फैसला आया कि हिंदू धर्म के अनुसार शादी वही मान्य है जो शादी ब्राह्मण द्वारा करायी जाय तथा ब्राह्मण को विधिवत दक्षिणा दी जाय। सत्य शोधक समाज के कार्यकर्ता ने बाम्बे हाईकोर्ट में अपील कर दी। हाईकोर्ट में महादेव गोविन्द रानाडे जज थे उन्होने मुकदमे की सुनवाई करते हुए फैसला दिया कि हिंदू रीति रिवाज के अनुसार शादी ब्राह्मण पुरोहित द्वारा ही करायी जाय, यदि शादी ब्राह्मण पुरोहित से न करायी जाय तो दक्षिणा ब्राह्मण पुरोहित को भिजवा दी जाय।
उस समय बम्बई विधानसभा में एक पंराजपे नामक ब्राह्मण विधायक ने विधान सभा में प्रस्ताव रखा कि हाईकोर्ट का निर्णय आ चुका है हिंदूधर्म के अनुसार वही शादी मान्य है जो ब्राह्मण पुरोहित द्वारा करायी जाय, यदि ब्राह्मण पुरोहित द्वारा शादी न करायी जाय तो दक्षिणा अवश्य ही ब्राह्मण पुरोहित को भेज दी जाय। उस विधानसभा में सी.के.बोले नामक विधायक ज्योतिराव फुले के अनुयायी थे। इस प्रस्ताव पर कई दिन बहस चलीं। सी.के.बोले (सीताराम केशव बोले) ने प्रस्ताव पर बोलते हुए विधानसभा अध्यक्ष से कहा "मान्यवर मै सम्मानीय विधायक पंडित पंराजपे महोदय से प्रश्न पूंछना चाहता हूँ कि पंराजपे महोदय अपनी दाढ़ी किससे बनवाते हैं ? प्रश्न को सुनकर पंराजपे बिगड गये। पंराजपे ने अध्यक्ष महोदय से कहा कि मान्यवर, इस प्रश्न का मूल प्रस्ताव से कोई सम्वन्ध नहीं है इसलिए मैं कोई जवाब नही देना चाहता। सी.के.बोले ने अध्यक्ष महोदय से कहा "महोदय इस प्रश्न का बहुत ही गहरा संबंध मूल प्रस्ताव से है। माननीय विधायक को प्रश्न का जवाब देने में समस्या क्या आ रही है ? अध्यक्ष महोदय ने पंराजपे से कहा "चलो मैं मानता हूँ इस प्रश्न का संबंध मूल प्रस्ताव से नही है फिर भी आपको जबाव देने में दिक्कत क्या है ? पंराजपे महोदय ने जबाव मे कहा कि मैं अपनी दाढ़ी स्वयं बनाता हूँ। सी.के. महोदय ने कहा "मान्यवर अध्यक्ष महोदय, हिंदू धर्म के अनुसार दाढ़ी बनाने का काम नाई जाति के लोगों का है पंराजपे महोदय अपनी दाढी खुद बना लेतें हैं किन्तु क्या दाढी बनाने का पैसा नाई के पास भेजते हैं ? सी.के.बोले का प्रश्न सुनते ही पंराजपे महोदय ने जवाब दिया कि जब नाई काम ही नही करता है तो पैसा किस बात का ? No Work No Pay. जब काम नहीं तो वेतन भी नही। सी.के.बोले ने कहा जो बात नाई पर लागू होती है वही बात ब्राह्मण पुरोहित पर लागू होती है। जब कोई ब्राह्मण से शादी करायेगा ही नही तो दक्षिणा किस बात की ब्राह्मण के घर भिजवायी जाय। "No Work No Pay." का सिद्धांत यहाँ पर भी लागू होता है। पंडित परांजपे महोदय को निरुत्तर होना पड़ा।
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राष्ट्रीय युवा मोर्चा

बुधवार, 10 मई 2017

होशियार बच्चा और रामायण की कहानी

अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्णय लिया पप्पू :- सर मैं कुछ कहना चाहता हूँ। अध्यापक :- कहो बेटा पप्पू :- रामचंद्र जी का पुल बनाने का निर्णय गलत था। अध्यापक :- वो कैसे। पप्पू :- सर, उनके पास हनुमान थे जो उडकर लंका जा सकते थे। तो उनको पुल बनाने की कोई जरूरत नहीं थी अध्यापक :- हनुमान ही तो उड़ना जानते थे बाकी रीछ और वानर तो नहीं उडते थे। पप्पू :- सर वो हनुमान की पीठ पर बैठ कर जा सकते थे। जब हनुमान पुरा पहाड़ उठाकर ले जा सकते थे। तो..... अध्यापक :- भगवान की लीला पर सवाल नहीं उठाया करते नालायक पप्पू :- वैसे सर एक उपाय और था। अध्यापक :- (गुस्से में ).....क्या ? पप्पू :- सर, हनुमान अपने आकार को कितना भी छोटा बड़ा कर सकते थे जैसे सुरसा के मुंह से निकलने के लिए छोटे हो गये थे और सूर्य को मुंह में लेते समय सूर्य से भी बडे.......... तो वो अपने आकार को भी तो समुद्र की चौडाई से बड़ा कर सकते थे और समुद्र के ऊपर लेट जाते। और सारे बन्दर हनुमान जी की पीठ से गुजरकर लंका पहुंच जाते और रामचंद्र को भी समुद्र की अनुनय विनय करने की जरूरत नहीं पड़ती। वैसे सर एक बात और पूछूँ? अध्यापक :- पूछो। पप्पू :- सर सुना है। समुन्द्र पर पुल बनाते समय वानरों ने पत्थर पर "राम" नाम लिखा था..... जिससे वो पत्थर पानी में तैरने लगे। अध्यापक :- हाँ तो ये सही है। पप्पू :- सर, सवाल ये है बन्दर भालूओ को पढना लिखना किसने सिखाया था? अध्यापक :- हरामखोर पाखंडी बन्द कर अपनी बकवास और मुर्गा बन जा पप्पू :-ठीक है सर, सदियों से हम मूर्ख बनते आ रहे हैं..... चलो आज मुर्गा बन जाते हैं!!!!! मन्दिर नहीं, स्कुल चाहिए ! धर्म नहीं, अधिकार चाहिए !!

बादशाह और वज़ीर

एक कहानी कहीं पढ़ी थी जिस में एक बादशाह अपने वज़ीर को उसकी किसी बहुत ही गंभीर गलती पर सज़ा सुनाता है। बादशाह कहता है कि या तो तुम 100 कच्चे प्याज़ एक ही बैठक में खा लो या फिर भरे दरबार मे 100 जूते खा लो। वज़ीर सोचता है कि भरे दरबार मे सब के सामने 100 जूते खाने से बड़ी बेइज़्ज़ती होगी, इस से बेहतर है कि 100 कच्चे प्याज़ ही खा लिया जाए। जब वज़ीर को प्याज़ खाने के लिए दिया गया तो कुछ कच्चे प्याज़ खाने के बाद ही उसकी हालत खराब होने लगती है। आंख और नाक से पानी बहने लगते हैं। अब वज़ीर कहता है कि मुझ से अब और प्याज़ नहीं खाया जाएगा। आप मुझे 100 जूते ही लगा लो। जब वज़ीर को दो चार जूते पड़ते हैं तो उसके होश ठिकाने लग जाते हैं। अब वज़ीर कहता है कि मुझे जूते मत मारो, मैं प्याज़ खाऊंगा। ऐसा करते करते वह जूते भी खाता जाता है और प्याज़ भी खाता जाता है। आखिर में जब 100 प्याज़ की संख्या पूरी होती है तब तक वह 100 जूते भी खा चुका होता है। यहां तक तो यह एक चुटकुला था मगर वास्तविकता यह है कि हम बहुत ही निम्नस्तर की एक मूर्ख कौम हैं। हमने अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए हर उस व्यक्ति के हाथों में अपना नेतृत्व सौंप दिया जो हमें अपने शासनकाल में 100 प्याज़ भी खिलाये और साथ में 100 जूते भी लगाए। दरअसल हम नेतृत्व के महत्व को ही नहीं समझते। जस्टिस काटजू ने भारत के 90% लोगों को मूर्ख कहा था। काटजू बिल्कुल सही थे। हमें इस बात की थोड़ी सी भी परवाह नहीं है कि जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे किसान सरकार से अपनी मांग मनवाने के लिए अपना ही मूत्र पी रहे हैं, हम तो बस योगी जी द्वारा किसानों के 1 लाख से कम के ऋण माफ किये जाने से खुश हैं। हम "एक के बदले दस सर" लाने का वादा करके सत्ता में आने वालों से यह नहीं पूछते की कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान क्यों फांसी पर चढ़ा रहा है। हम तो मोदी जी के सियाचिन में दीवाली मनाने से ही प्रफुल्लित हैं।हमें इस बात की ज़रा भी परवाह नहीं है कि चीन भारत अरुणाचल प्रदेश छः से अधिक ज़िलों का नाम बदल क्यों बदल रहा है। हम तो यह सोचकर ही मंद मंद मुस्काते हैं कि मोदी ही दुनिया का एकमात्र ऐसा व्यक्ति है जो पाकिस्तान को करारा जवाब दे सकता है। हमें ज़रा भी फिक्र नहीं कि अमेरिका में जातीय हिंसा में अबतक 8 से अधिक भारतीय मार डाले गए। हम तो मोहसिन, इखलाक, मिन्हाज, पहलू खान इत्यादि के मारे जाने को मुल्लों का विकेट गिरने से जोड़कर देखते हैं। हमें वन रैंक वन पेंशन के लिए जंतर मंतर पर महीनों तक संघर्ष करते सैनिक नहीं दिखाई दिए लेकिन हम तथाकथित सर्जिकल स्ट्राइक पर हवा में अपनी टोपियां उछालने लगते हैं। हमें इस बात की तनिक भी चिंता नहीं है कि हमारे समाज की 10000 से अधिक विधवा औरतें मथुरा और वृन्दावन में भीख मांग कर जीवनयापन कर रही हैं। हम तो तीन तलाक जैसे वाहियात मुद्दे पर हो रही बहस से ही खुश हो जाते हैं। हम ज़रा भी नहीं सोचते कि मोदी जी ने जो प्रतिवर्ष 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था उसका क्या हुआ लेकिन हम गौरक्षक और हिन्दू युवा वाहिनी जैसी संस्था द्वारा फैलाये गए धार्मिक उन्माद को देखकर ही अंदर अंदर खुश होते रहते हैं। हमें इस बात से कोई मतलब नहीं कि भारत में किसानों की आत्महत्या रुकी या नही, बस हम तो इस बात से खुश हैं कि मोदी जी ने लालबत्ती कल्चर खत्म कर दिया है। हमें इस बात की ज़रा भी परवाह नहीं कि गंगा कितनी साफ हुई या साफ हुई भी की नहीं, लेकिन हम मोदी जी की बनारस में गंगा आरती और अक्षरधाम में पूजा करने से ही खुश हो जाते हैं। हमें इस बात की ज़रा भी परवाह नहीं कि भारत में ट्रेन दुर्घटना कितनी अधिक बढ़ गयी है, लेकिन हम सरकार द्वारा बुलेट ट्रेन की घोषणा मात्र से ही उछलने लगते हैं। हमें आदिवासियों और अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचार की कोई फिक्र ही नहीं है। हम तो बस यह सोचकर खुश हैं कि मोदी जी ने "सबका साथ, सबका विकास" का नारा दिया है। अनेकों मिसालें ऐसी हैं जहां हम भारतीयों की संवेदनहीनता साफ दिखाई पड़ती हैं। हम बहुत गहरी नींद में सो रहे हैं। हमारी नींद इतनी गहरी हो चुकी है की हमारी संवेदना मृत हो चुकी है। हमारी कौम है ही इसी लायक की हमारा बादशाह हमें 100 जूते भी लगाए और 100 कच्चे प्याज़ भी खिलाये।

तुझेच धम्मचक्र हे फिरे जगावरी

आज वैशाख बुद्ध पौर्णिमा.जगाला शांततेचा, अहिंसेचा व समतेचा संदेश देणाऱ्या तथागत बुद्धांची जयंती.वैशाख पौर्णिमेलाच बुद्धांचा जन्म, बोधीप्राप्ती आणि महापरिनिर्वाण या तीन महत्त्वपूर्ण घटना घडल्या.जगातील कोणत्याच महापुरुषाचा बाबत अशा घटना घडल्या नाहीत.शाक्यमुनी तथागत बुद्ध जगाला प्रकाश देणारे तेजस्वी सूर्यच... 'बुद्ध’ हे नाव नाही ज्ञानाची उपाधी आहे.‘बुद्ध’ या शब्दाचा अर्थ आहे ‘आकाशाएवढा प्रचंड ज्ञानी’ आणि ही उपाधी गौतम बुद्धांनी स्वप्रयत्नांनी मिळवली आहे. ‘संबुद्ध’ म्हणजे बुद्धत्व-संबोधी (ज्ञान) प्राप्त करून स्वत: वर विजय मिळवलेला आणि स्वत: उत्कर्ष करू शकणारा महाज्ञानी! आणि ‘संमासंबुद्ध’ म्हणजे बुद्धत्व-संबोधी (ज्ञान) प्राप्त असलेला, स्वत: सोबतच संपूर्ण जगाचा उत्कर्ष,उद्धार करू शकणारा महाज्ञानी! बौद्ध अनुयायी लोक शाक्यमूनी गौतम बुद्धांना वर्तमानातील सर्वश्रेष्ठ बुद्ध म्हणजेच ‘संमासंबुद्ध’ मानतात. मानव निर्मित दुःखाच्या मुक्तीकरिता सर्व सामान्यांना उमजेल असा साधा सोपा निसर्ग नियमांवर आधारित मार्ग तथागतांनी शोधून काढला.ज्याचे पालन करून आपण जीवनात सुख,शांती आणि आनंद प्राप्त करू शकतो. न हि वेरेन वेरानि सम्मन्तीध कुदाचनं | अवेरेन हि सम्मन्ति एस धम्मो सनन्तनो | माणसाने माणसाशीच वैर करावे हे पाहून बुद्धांना मनस्वी दुःख होत असे. वैर टाकून सर्वांनी एकमेकांशी प्रेमाने, सौजन्याने, सहानुभूतीने वागण्याचा त्यांनी संदेश दिला. तथागताची ती थोर शिकवण त्यावेळीही लोकांना पटली होती व ती आजही प्रेरक ठरत आहे.आज तथागत बुध्दांचे धम्मचक्र अवघ्या विश्‍वावर फिरत आहे.

बुद्धपोर्निमा कशी साजरी करावी ??





तथागत गौतम बुद्ध यांचे महान बुद्ध धम्म, विज्ञानवादी विचार हे एका बुद्ध जातीपुर्ते मर्यादित नसुन संपूर्ण विश्व मानव जातीला उद्धार करते आहे.
1) काही दिवस आधी पासुनच तयारीला लागुन आपल्या समस्त बाँधवांना बुद्ध जयंतीत साजरी कर्न्यासाठी जाग्रुती & समाजास सहभागी करून घ्यावे
तसेच बाबासाहेबांनी दिलेल्या 22 प्रतीज्ञा आवरजुन सांगीतल्या पाहिजे.
2) बुद्धविहारात किवा बुद्ध सामाजिक मंच आशा ठिकानी कार्यक्रम / बुद्धवंदना घ्यावी. 3) बुद्धविहारास / बाबासाहेब लिखित पुस्तके, ग्रंथ /संपती /मार्गदर्शन / ज्ञान / इतर महापुरषांचे ग्रंथ दान द्यावेत.
5) गौतम बुद्धांचे जागतिक विज्ञानवादी बुद्धविचार/समस्त समाजास सांगावे.
उदा. सम्राट अशोक, मा.ज्योतिराव फूले (ही सामाजिक जबाबदारी सर्वांची आहे). 4) याचा उपयोग भावी विद्यार्थीच्या गरजा किंवा सामाजिक गरजा भागवन्या करता कारावा. 6) जयंतीत (DJ, ढोल , बँड , फटाके आताषबाजी,करू नये.
10) प्रत्येकांनी आपल्या घरांवर & बुद्धविहारात पंचशील ध्वज उँच फड़कावत ठेवावा.
7) बुद्धजयंती निमीत्त, आनेक स्पर्धाचे /कलेचे आयोजन करू शकतो. 8) बुद्ध जयंती या दिवशी सर्वानी स्वछ शुभ्र (पांढरे) वस्त्रे परीधान कारावीत. 9) शांततेत मिरवनुक काढू शकता. बुद्धगीत, वर्षातून 2 वेला ध्वज बदलावा 1)बुद्ध जयंती & 2) धाम्म चक्र परीवर्तन दिनी जय भिम
जय बुद्ध

रजनीश ओशो ने बड़ी सटीक


⁠⁠[5:42 AM, 5/11/2017] +91 98185 33286: ⁠⁠⁠रजनीश ओशो ने बड़ी सटीक बात कही है, जिस कौम के बच्चो ने शक

किया वंहा विज्ञान पैदा हुई, जिन कौम के बच्चो ने शक नहीं किया वंहा

अंधविश्वास रहा, ओशो की बात मुझे बड़ी चंगी लगी ! तथागत बुद्ध ने ब्राहमणों की पोंगा पंथी पर शक किया इसलिए लगभग

50 देशो में और लगभग विशव की 25% आबादी को तर्कशील और

वैज्ञानिक धम्म दिया ! महात्मा फुले ने ब्राहमणों झूठे ग्रंथो और मूर्ती पूजा पर शक किया तो शुद्रो

को गुलामगिरी नामक महाग्रंथ लिखा जिसे पढ़ कर बाबा साहेब ने फुले

को साहित्यक गुरू माना और मान्यवर कांसीराम जी ने वैज्ञानिक का पद

छोड़कर बहुजन समाज को हुक्मरान बनाने का बीड़ा उठाया ! बाबा साहेब ने मनुवाद पर शक किया तो एलान के साथ मनुस्मृति को

आग लगाई! तो क्यू लगाई? सर छोटूराम मंडी-फंडी ओर उनकी नियत पर शक किया तो किसानो को

उनकी जमीनो के मालिक बनवा के ही दम लिया| महाराजा सूरजमल ने पेश्वा सदाशिव भाऊ राव की निति पर शक किया

तो अपनी सेना को यूज ऐंड थ्रो होने से बचाते हुऐ अब्दाली को करारी मात

दि ओर पेश्वाओ की फ़र्स्ट ऐड की| अब हम भी शक करे कि:-
1) क्या कोवो को खाना खिलाने से हमारे मृत पूर्वजो को खाना मिल

जाएगा ? 2) आत्मा जिसमे भूख प्यास नहीं, सवेंदना नहीं, कोई वार उस पर असर

नहीं करता, फिर स्वर्ग नरक के डर से भयभीत क्यों, श्राद से फ़ायदा

किसको ? ...(ब्राहमण को) 3) पत्थर की मूर्ती अगर हमारी रक्षा करती, तो सोमनाथ मंदिर लूटने के

लिए वंहा के 2 नंबर के पुजारी ने गजनी को क्यों बुलाया, और अपनी

स्वयं की रक्षा नहीं कर पाया क्यों ? 4) कुंवारी माँ (कुन्ती) को इतना आदर क्यों ?अब बदचलन की उपाधि

क्यों? 5) दशरथ, पांडू जो नपुषक थे, उनकी बीबी के संतान कैसे ? 6) ब्राहमणों का भगवान सर्वज्ञानी था, वैद पुराण आदि रचे लेकिन, वही

सर्वज्ञाता द्रविड़ो की शानदार सिन्धु घाटी सभ्यता के बारे में कुछ नहीं

जान पाया, जिसको 19 शताब्दी के अंत में अंग्रेज ईतिहासकार बनर्जी ने

खोज निकाला क्यों ? 7) विष्णू ने शुद्र महाराजा बली से 3 कदम जगह माँगी और 2.5 कदम में

सारी धरती नाप ली, कैसे?
दोस्तों ब्राहमण की प्रत्येक गप्प पर शक करो और हमारे महापुरुषों द्वारा

प्रशस्त पथ पर भी शक करो ? कसौटी पर कसो ! पर जो सही हो उस पे तो चलो ? दूसरी फ़ैल ब्राहमण B. Tech और IAS, Officer को बेवकूफ बनाता है,

और वह जानते बुझते हुए भी बेवकूफ बनता है, क्योंकि वह दूसरी फ़ैल

ब्राहमण की बात पर शक नहीं करता है, तो बताओ भारत का किसान-

मजदुर हुक्मरान कैसे बनेगा, ओर बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर, सर

छोटूराम, ज्योतिबा फुले, सर फ़ैजले हुस्न, सर सिकंदर हैयात खान,

सरदार भगत सिंह का मिशन कैसे पूरा होगा? कृपया शक करो ! मंजिल वही सोच नई|